नई दिल्ली। भारत ने कॉप 28 सम्मेलन के निर्णायक ग्लोबल स्टॉकटेक मसौदे में यूरोपीय संघ द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म जैसे एकतरफा व्यापार उपायों के खिलाफ सख्त भाषा को शामिल कराने पर जोर दिया। अंतिम मसौदे के पैराग्राफ 154 में कहा गया है, ‘सभी देशों में सतत आर्थिक वृद्धि और विकास प्राप्त करने के मकसद से सदस्य देशों को एक सहायक और खुली अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली को बढ़ाने देने में सहयोग करना चाहिए। ऐसे में उन्हें जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए इस समस्या से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम होने के लिए एकतरफा उपाय मनमाने या अनुचित भेदभाव या अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर छद्म प्रतिबंध का साधन नहीं बनने चाहिए।’
बेसिक (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वार्ताकारों ने कहा कि भारत ने अंतिम ग्लोबल स्टॉकटेक मसौदे में ‘एकतरफा’ उपायों को लेकर कड़ी भाषा को शामिल कराने पर बातचीत की अगुआई की। बेसिक देशों में से एक के वार्ताकार ने कहा, ‘भारत ने बेसिक देशों के साथ मिलकर मसौदे में पैराग्राफ 154 को शामिल कराने के लिए कड़ा संघर्ष किया। विकसित दुनिया के आर्थिक उपाय वैश्विक व्यापार की कीमत नहीं होना चाहिए क्योंकि खास तौर पर गरीब देशों पर इसका बोझ बढ़ जाएगा।’ एक अन्य वरिष्ठ वार्ताकार ने कहा कि केवल कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म ही नहीं बल्कि अमेरिका की मुद्रास्फीति कटौती अधिनियम को भी ग्लोबल स्टॉकटेक मसौदे में शामिल करने का लक्ष्य था।