मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की ओर जनआक्रोश रैली निकाली जा रही है। कमलनाथ सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए और भाजपा सरकार की खामियों को लेकर कांग्रेस ने जनता के बीच जाने की तैयारी की। पार्टी ने 14 दिनों में 1700 किलोमीटर का दूरी तय करने का प्लान बनाया हुआ है। लेकिन, 19 सितंबर को शुरुआती दौर में ही जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। दमोह व जबेरा विधानसभा के बांदकपुर से शुरू होकर बनवार, जबेरा, नोहटा अभाना क्षेत्र में यह रैली निकाली तो गई, लेकिन लोगों का अपेक्षित साथ नहीं दिखा।
असल में, जन आक्रोश रैली का मकसद था वर्तमान सरकार के खिलाफ माहौल बनाना। कांग्रेस सोच रही थी कि जनता साथ आएगी और सरकार के खिलाफ उसका आक्रोश दिखेगा। लेकिन, शहरों और गांवों में कांग्रेस को जनता का समर्थन हीं मिल रहा है। दमोह की कई महिलाओं का कहना है कि डबल इंजन की सरकार ने सभी के लिए रसोई गैस की कीमतें उम्मीद से कम कर दी है। पहले केंद्र सरकार ने कमी की और अब शिवराज सरकार ने केवल 450 रुपये में रसोई गैस की सुविधा उपलब्ध करा दी है। महिलाओं के लिए शुरू की गई लाड़ली बहना योजना से प्रदेश की लाखों बहनों को लाभ मिला है।
जबेरा विधानसभा के पुष्पेंद्र आल्वे का कहना है कि जब प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ थे, उस समय उन्होंने कई लाभकारी योजनाओं को बंद कर दिया था। जनता को यह पता ही नहीं था कि मुख्यमंत्री कौन है और सरकार कौन चला रहा है? कांग्रेस के कई गुट हैं, जो अपनी-अपनी चलाते हैं। जनता की समस्याओं से इन्हें मतलब ही कहां होता है।
भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी तैयार करने और जनआशीर्वाद यात्रा से मुकाबला करने के उद्देश्य से कांग्रेस जन आक्रोश रैली लेकर मैदान में उतर तो गई है लेकिन भाजपा और कांग्रेस की रैलियों का नजारा देख लगता है कि जनता का आक्रोश कांग्रेस पर और आशीर्वाद जनता के साथ है।