बेंगलुरु । वर्तमान में सोशल मीडिया का उपयोग बच्चे खूब कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें लत से बचाने के लिए उम्र की सीमा तय करने पर विचार होना चाहिए। इस तरह की टिप्प्णी कर्नाटक हाईकोर्ट ने की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार को इस दिशा में भी ध्यान देना चाहिए। हाईकोर्ट ने एक मौखिक टिप्पणी में कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए लोगों की उम्र ‘कम से कम 21’ होनी चाहिए। कर्नाटक हाईकोर्ट में दो न्यायाधीशों की बेंच कुछ सोशल मीडिया अकाउंट और ट्वीट्स को ब्लॉक करने के केंद्र के आदेश को दी गई चुनौती को खारिज करने के खिलाफ एक्स कॉर्प की अपील पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने पहले केंद्र सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी और आदेशों का पालन नहीं करने पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। यह मामला तब सामने आया जब केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि कानून में अब कुछ ऑनलाइन गेम तक पहुंचने से पहले उपयोगकर्ता के पास आधार और अन्य दस्तावेज होना आवश्यक है। अदालत ने तब पूछा कि ऐसी पहचान को सोशल मीडिया तक भी क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है।
जस्टिस जी नरेंद्र ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाएं। मैं आपको बताऊंगा कि बहुत कुछ अच्छा होगा। आज के स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो गए हैं। मुझे लगता है कि आबकारी नियमों की तरह इसकी भी एक उम्र सीमा तय होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि बच्चे 17 या 18 साल के हो सकते हैं, लेकिन क्या उनमें यह निर्णय लेने की परिपक्वता है कि देश के हित में क्या (अच्छा) है और क्या नहीं? न केवल सोशल मीडिया पर, बल्कि इंटरनेट पर भी ऐसी चीजें हटाई जानी चाहिए, जो मन को विषाक्त करती हैं।