छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में 19-20 अप्रैल को होगा ऐतिहासिक आयोजन
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, राज्यपाल आचार्य देवव्रत समेत कई गणमान्य अतिथि होंगे शामिल
रायपुर, छत्तीसगढ़/आर्य समाज की ऐतिहासिक और वैचारिक विरासत को सशक्त करते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती और आर्य समाज के 150वें स्थापना वर्ष के पावन अवसर पर धर्मरक्षा महायज्ञ एवं वैदिक सनातन संस्कृति सम्मेलन का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में दिनांक 19-20 अप्रैल 2025 (शनिवार-रविवार) को रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम (साइंस कॉलेज के पास, GE रोड) में आयोजित होगा।
*आर्य समाज: एक सतत आंदोलन*
स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज न केवल धार्मिक सुधार का आंदोलन है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति का भी प्रतीक रहा है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, और समाज सुधार तक, आर्य समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
इस वर्ष भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 फरवरी 2023 को दिल्ली से इस महाअभियान की शुरुआत की गई थी, जिसके अंतर्गत भारत और विदेशों में सैकड़ों आयोजनों की श्रृंखला चलाई जा रही है।
*विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति*
इस ऐतिहासिक आयोजन में कई राष्ट्रीय और सामाजिक हस्तियां सम्मिलित होंगी:
आचार्य देवव्रत, राज्यपाल – गुजरात
विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री – छत्तीसगढ़
डॉ. रमन सिंह, अध्यक्ष – छत्तीसगढ़ विधानसभा
स्वामी धर्मानंद जी – वैदिक धर्मगुरु
सुरेन्द्र कुमार आर्य, अध्यक्ष – ज्ञान ज्योति पर्व
सुरेश अग्रवाल, प्रधान – सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा
दीनदयाल गुप्त, उद्योगपति – डालर बनियान प्रा. लि.
रुद्रसेन सिंधु, अध्यक्ष – सिंधु शिक्षा फाउंडेशन
इनके अलावा समाज के कई अन्य गणमान्य अतिथि, वैदिक विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और आर्य समाज से जुड़े प्रतिनिधि कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।
*कार्यक्रम की प्रमुख झलकियाँ*
वैदिक रीतियों से धर्मरक्षा महायज्ञ
वैदिक व्याख्यान एवं विचार गोष्ठियाँ
आर्य समाज की भूमिका पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
युवा संवाद, पुस्तक प्रदर्शनियाँ और प्रेरणादायी भाषण
वैदिक जीवनशैली और नारी उत्थान विषय पर संगोष्ठी
*सभी नागरिकों को हार्दिक आमंत्रण*
छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा ने समस्त नागरिकों, आर्य अनुयायियों, युवाओं, छात्रों और समाज सेवकों से इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भाग लेकर वैदिक संस्कृति के जागरण में सहभागी बनने का आह्वान किया है।
यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, वैदिक मूल्यों और राष्ट्र चेतना को पुनर्स्थापित करने का संकल्प है।