RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को 91 और 182 दिनों के ट्रेजरी बिल्स (T-bills) की नीलामी में कोई बोली स्वीकार नहीं की. यह कदम देश के बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी (कैश क्रंच) के बीच उठाया गया है. RBI ने एक बयान में कहा कि उसने 26,000 करोड़ करोड़ लगभग 3 बिलियन डॉलर की बिक्री के लिए आई बोलियों को खारिज कर दिया. हालांकि, उसने 7,000 करोड़ के 364-दिनों के ट्रेजरी बिल्स 6.5638 फीसदी की दर पर बेचे.
बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी
भारत की बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी (नकदी) की स्थिति अभी भी गंभीर रूप से डेफिसिट में है, भले ही RBI ने हाल ही में कैश इंजेक्शन के कदम उठाए हों. लेकिन, ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के एक इंडेक्स के मुताबिक, बैंकों ने बुधवार तक केंद्रीय बैंक से लगभग 2 लाख करोड़ उधार लिए हैं.
RBI के लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय
पिछले महीने के अंत से, RBI ने तीन ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMOs) के जरिए सिस्टम में 1 लाख करोड़ जोड़े हैं. इसके अलावा, उसने फॉरेक्स स्वैप के जरिए 5 बिलियन डॉलर के बराबर लिक्विडिटी इंजेक्ट की है और लॉन्ग टर्म के टी-बिल्स का वेरिएबल रेपो ऑक्शन्स भी कर रहा है. वहीं, गुरुवार को टी-बिल्स की बिक्री के नतीजों के बाद, 5-वर्षीय बॉन्ड 6.65 फीसदी पर स्थिर रहा.
RBI का पिछला कदम
मई में, RBI ने ट्रेजरी बिल्स के जरिए सरकार के लिए कम उधारी की घोषणा की थी. यह कदम सरकार को एक बड़ा डिविडेंड ट्रांसफर करने से कुछ दिन पहले उठाया गया था. सरकार को यह भुगतान आमतौर पर समय के साथ बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को बेहतर बनाता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे तेज ग्रोथ बना रहेगा
RBI के लेटेस्ट मंथली बुलेटिन के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेज ग्रोथ वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. आरबीआई ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा है कि 2025-26 में भारत की GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी से 6.7 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है. ग्लोबल अनसर्टेन्टी के बावजूद, हाई-फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर्स दिखा रहे हैं कि 2024-25 की दूसरी छमाही में इकोनॉमिक एक्टिविटी में सुधार होगा, जो आगे भी जारी रहेगा.