राजधानी के मास्टर प्लान का फर्जीवाड़ा फूटने के पांच महीने बाद अब जांच के बिंदु तय कर लिए गए हैं। इस महीने जांच महीने अपनी रिपोर्ट शासन के पास जमा करेगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने नए सिरे से आपत्ति मंगवाई है। अब तक 76 आपत्ति जमा हो चुकी है। उनकी प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कुछ आपत्तियों में 40 केवल परसतराई की है। यहां अफसरों ने बड़ा खेल किया। यहां की पूरी जमीन का लैंडयूज बदलकर पब्लिक और सेमी पब्लिक कर दिया है,जबकि यहां के लोग इसके विरोध में है।
जांच में पता चला है कि यहां एक रिटायर्ड अफसर की बड़ी जमीन है। उन्होंने वहां कॉलेज खोल लिया है। उनके कॉलेज को वैध करने के लिए ही यहां की पूरी जमीन का लैंड यूज बदला गया है। भाजपा की सरकार बनने के बाद जब यहां मास्टर प्लान की गड़बड़ी सामने आई तब परसतराई के लोग खुलकर सामने आए हैं। जांच समिति ने उनकी आपत्ति का परीक्षण शुरू कर दिया है। जांच समिति के अफसरों की टीम ने बताया कि पूरे मास्टर प्लान की जांच की जरूरत नहीं है। इसकी बिंदुवार जांच होगी। इससे फर्जीवाड़ा सामने लाने में आसानी होगी।
भास्कर ने किया था खुलासा- तालाब की जमीन आवासीय की
भाजपा की नई सरकार बनने के बाद मार्च 2024 में मास्टर प्लान की फिर से जांच की घोषणा की गई थी। अप्रैल में इसके लिए जांच टीम बनी। इसके बाद से ही जांच हो रही है, लेकिन जांच समिति की पहली बैठक पिछले हफ्ते ही ली गई। जांच रिपोर्ट तैयार होने में देरी की वजह से मंत्री ओपी चौधरी ने नाराजगी भी जाहिर की थी।