लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान जेल विभाग ने खाद्य पदार्थों की खरीदारी के लिए नेफेड से टेंडर जारी कर दिया। उत्तरप्रदेश की एक कंपनी को सप्लाई का ठेका दिया गया। इसमें जेल मैनुअल व शर्तों का पालन नहीं किया गया। एजेंसी भी बिना सब्सिडी के ज्यादा कीमत में अनाज और अन्य सामान की सप्लाई कर रही है।
इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। क्योंकि केंद्र सरकार अनाज पर सब्सिडी दे रही है। सब्सिडी में अनाज 2900 रुपए प्रति क्विंटल में मिल रहा है। इसके बावजूद इसे 1450 रुपए ज्यादा कीमत देकर जेल विभाग ने 4350 रुपए में प्रति क्विंटल में खरीद लिया। 6000 रुपए प्रति क्विंटल चना दाल को 8300 रुपए में खरीदा गया। आचार संहिता के दौरान टेंडर और खरीदी-बिक्री पर पूरी तरह से रोक रहती है। इसके बाद भी टेंडर निकालकर ठेका दिया गया है।
केंद्र सरकार चावल ही नहीं चना दाल, मूंगदाल और आटा में भी सब्सिडी दे रही है। चावल सब्सिडी में 2900, चना दाल 6000, मूंगदाल 10700 और आटा 2750 रुपए में मिलता है। इसके बाद भी बिना सब्सिडी के जेल में खरीदी की गई है। इसके लिए नेफेड दो प्रतिशत चार्ज भी ले रहा है। इसी तरह गुड 5100 और चायपत्ती 32400 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदा जा रहा है। इससे पहले चायपत्ती 21000 रुपए में खरीदी गई थी। गेंहूू 2700 रुपए में खरीदा जा रहा था।
3 माह का राशन एक साथ खरीदा
जेल मैनुअल के अनुसार राशन की सप्लाई रोज या 7 दिनों के लिए ही की जाती है। एक साथ कभी भी दो-तीन माह का राशन नहीं खरीदा जाता। अधिकतम सात दिनों तक का ही राशन खरीदा जाता था। क्योंकि इसमें राशन खराब होने का डर रहता है। लेकिन पहली बार एक साथ तीन माह का राशन खरीद लिया गया।
इसमें गर्मी में खराब होने वाली सामाग्री भी शामिल है। राज्य के 33 जिलों में बंद 18 हजार कैदियों के लिए राशन की खरीदारी की जाती है। जेल मैनुअल में उनके लिए भोजन से लेकर नाश्ते की मात्रा तक तय है। इसी तरह उन्हें किस दिन कौन सी दाल और सब्जी देनी है यह भी तय है। जेल नियमों के खिलाफ अफसरों ने अरहर दाल की खरीदी ही नहीं की।