देश में अगली सरकार किसकी होगी, यह तय करने में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के मतदाताओं की भूमिका अहम होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इनका साथ मिला था। इस बार सबकी निगाहें इन आरक्षित सीटों पर टिकीं हैं।2019 में देशभर में एससी और एसटी के लिए आरक्षित कुल 131 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 82 पर जीत दर्ज की थी। हालांकि इन सीटों पर इस बार भाजपा के सामने प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है।2019 में अनुसूचित जाति (एससी) की 84 आरक्षित सीटें थीं। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 17, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 10, तमिलनाडु में सात और बिहार में छह सीट इस श्रेणी में आरक्षित हैं।
भाजपा ने 46 और कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा टीएमसी ने पांच, डीएमके और वाईएसआरसीपी ने चार-चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।देश में सबसे अधिक एसटी आरक्षित लोकसभा सीटें मध्य प्रदेश में छह हैं। इसके बाद झारखंड और ओडिशा में पांच-पांच, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात में चार-चार सीटें आरक्षित हैं। एसटी आरक्षित सीट पर सबसे बड़ी जीत भाजपा के होरेन सिंग बे ने असम में स्वायत्त लोकसभा सीट से 2,39,626 मतों से जीत दर्ज की थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मोहम्मद फैजल पीपी ने लक्षद्वीप से सबसे छोटी जीत सिर्फ 823 मतों से दर्ज की थी।