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हिमालयी क्षेत्र में मिलीं जंगली मशरूम की पांच नई प्रजातियां

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वैज्ञानिकों ने हिमालयी क्षेत्र से मशरूम की पांच नई प्रजातियां खोजी हैं। यह प्रजातियां खाने योग्य नहीं हैं, लेकिन हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र और औषधि निर्माण के लिहाज से काफी उपयोगी हैं। खोजी गई जंगली मशरूम की पांच प्रजातियों में लेसीनेलम बोथी, फाइलोपोरस स्मिथाई, रेटिबोलेटस स्यूडोएटर, फाइलोपोरस हिमालयेनस और पोर्फिरेलस उत्तराखंडाई हैं।मशरूम की इन नई प्रजातियों की खोज बोटॉनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सेंट्रल नेशनल हर्बेरियम के प्रख्यात कवक विज्ञानी डॉ. कणाद दास के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने की। इसमें एचएनबी गढ़वाल विवि उत्तराखंड और टोरिनो विश्वविद्यालय इटली के वैज्ञानिक भी शामिल थे। यह अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।

जंगली मशरूम लेसीनेलम बोथी की प्रजाति रुद्रप्रयाग के बनियाकुंड में 2,622 मीटर की ऊंचाई पर मिली, जबकि फाइलोपोरस स्मिथाई प्रजाति इसी इलाके में करीब 2,562 मीटर की ऊंचाई पर खोजी गई। दो प्रजातियां बागेश्वर जनपद में खोजी गई हैं। रेटिबोलेटस स्यूडोएटर 2,545 मीटर और फाइलोपोरस हिमालयेनस करीब 2,870 मीटर की ऊंचाई पर मिली है। पोर्फिरेलस उत्तराखंडाई चमोली के लोहाजंग में करीब 2,283 मीटर की ऊंचाई पर मिली। वैज्ञानिकों ने इनके आकार, रंग, संरचना के साथ इनके जीन का भी अध्ययन किया है।

औषधीय गुणों से हैं भरपूर
मशरूम औषधीय गुणों से संपन्न होते हैं। संक्रमण से बचाव की कई दवाएं कवक से बनाई जाती है। यह इम्युनिटी बढ़ाने के साथ वायरस से लड़ने में भी मदद करते हैं। इसमें कोविड से लड़ने की अद्भुत क्षमता है। मशरूम में मौजूद बायोएक्टिव तत्व हमारे शरीर में होने वाले संक्रमण के साथ वायरस, सूजन और रक्त के थक्के को जमने से रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं।