अहमदाबाद । जैन धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई शुरू होने जा रही है। यह प्रकरण न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया है।
सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र झारखंड में स्थित है। तत्कालीन बिहार सरकार ने 1950 और 1953 में लैंड रिफॉर्म एक्ट के तहत एक अधीसूचना जारी कर, इस तीर्थ क्षेत्र के पहाडों को अधिग्रहित कर लिया था। राज्य सरकार की इस कार्यवाही के विरोध में जैन समाज के सभी घटक जिसमे श्वेतांबर मूर्ति पूजक, दिगंबर जैन, तथा जैन समाज के सभी श्रावकों की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। रांची हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जैन समाज द्वारा 2005 में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की थी। अब इस मामले में सुनवाई होने जा रही है। जैन समाज का यह सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। जैन ग्रंथो की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 20 तीर्थंकर सम्मेद शिखर के पर्वत से तपस्या करते हुए मोक्ष गए हैं। यहां पर हमेशा से जैन समाज के श्रद्धालु अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। जैन समाज में मान्यता है, मानव जीवन में एक बार समेदशिखर की परिक्रमा करने से सभी पापों से मुक्ति होती है। अपने जीवन काल में कम से कम एक बार यहां जाकर जैन समाज के लोग 20 तीर्थंकरों की पूजा अर्चना करते हैं।जैन समाज की आस्था का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है। जैन समाज द्वारा बिहार सरकार के अधिग्रहण को चुनौती दी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना है।