नई दिल्ली । भारत की हमेशा से ही हस्तक्षेप नहीं करने की नीति रही है। इसका मतलब भारत पड़ोसी या फिर अन्य मुल्कों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है और न ही किसी देश पर ‘हड़प नीति’ वाला फॉर्मूला थोपने की कोशिश करता है। हालांकि, भारत के पड़ोसी देश चीन की नीति इससे ठीक उलट है। पिछले दिनों चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर आपत्तिजनक रुख अपनाया था। इसके पहले ही बिना किसी पूर्व सूचना के हिन्द महासागर में उसके पोत और पनडुब्बियां विचरती रही हैं। अब भारत ने ऐसा कदम उठा लिया है, जिससे चीन की हवाई उड़ गई हैं। भारत एक साथ कई देशों में स्थित अपने दूतावासो में सैन्य दूत नियुक्त करने की तैयारी कर रहा है। इन्हें विदेशी राजनयिकों की तरह ही छूट प्राप्त होगी। भारत के इस कदम से चीन बेचैन हो उठा है।
दरअसल, भारत पहली बार प्रमुख क्षेत्रों के साथ रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने की अपनी व्यापक नीति के अनुरूप इथियोपिया, मोजाम्बिक, आइवरी कोस्ट, फिलीपीन, आर्मीनिया और पोलैंड सहित कई देशों में रक्षा अताशे (सैन्य दूत) तैनात करेगा। सूत्रों ने बताया कि भारत अफ्रीकी देश जिबूती के लिए एक नया रक्षा अताशे भी नियुक्त कर रहा है, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी के आसपास एक प्रमुख समुद्री प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है और सैन्य अड्डों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। पता चला है कि भारत मॉस्को में अपने दूतावास और लंदन में उच्चायोग में सैन्य अधिकारियों की टीमों की संख्या को तर्कसंगत बनाने की योजना बना रहा है।
भारत ने अफ्रीका के साथ ही यूरोप के कुछ देशों में स्थित दूतावासों में सैन्य दूत तैनात करने का फैसला किया है। इसतरह 16 सैन्य प्रतिनिधियों की तैनाती का प्लान तैयार कर लिया गया है। ये सभी नौसेना, सेना और एयरफोर्स से जुड़े हैं। ये जल्द ही संबंधित देशों में स्थित भारतीय दूतावासों में अपना कार्यभार संभालने वाले हैं। बता दें कि चीन पिछले कुछ वर्षों में अफ्रीका में अपना दबदबा मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है। इसके बाद भारत ने भी सामरिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण फैसला लिया है। भारत ने भी अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को नया आयाम देने में जुटा है।