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नेहरू का लोकतंत्र का मॉडल और लोहिया का आदर्शवाद आज की जरूरत: चौबे डॉ लोहिया की जयंती पर परिचर्चा का आयोजन, जुटे समाजवादी चिंतक-विचारक

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भिलाई। प्रखर चिंतक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया की 115 वीं जयंती पर परिचर्चा का आयोजन शनिवार की सुबह लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान रुआबांधा सेक्टर एचएससीएल कॉलोनी में किया गया। भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान, चंद्रशेखर फाउंडेशन और समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) राष्ट्रीय के संयुक्त प्रावधान में आयोजित इस पर परिचर्चा का विषय ”नेहरू-लोहिया और वर्तमान समय की चुनौतियां” रखा गया था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व विधायक प्रदीप चौबे थे और अध्यक्षता भिलाई स्टील प्लांट के श्रमिक संगठन एचएमएस के महासचिव प्रमोद मिश्रा ने की।
शुरूआत में डॉ. राममनोहर लोहिया के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ ही अमर क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के बलिदान का स्मरण भी किया गया।
मुख्य अतिथि पूर्व विधायक प्रदीप चौबे ने कहा कि आज भी देश में ऐसे लोग मौजूद हैं जो किसी भी तानाशाही और गैर लोकतांत्रिक कदम को अच्छी तरह समझ रहे हैं और इसे रोकने के लिए आगे आ रहे हैं। यह लोकतंत्र के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है।
उन्होंने कहा कि स्व. राममनोहर लोहिया ने जीते जी अपना जन्मदिन मनाने से अपने साथियों को हमेशा मना किया क्योंकि यह दिन भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव की शहादत का दिन है लेकिन व्यक्ति पूजा के हमारे देश में हम लोगों ने गांधी, लोहिया और जयप्रकाश के गुजरने के बाद उनके आदर्शों को याद करने उनकी जयंती पुण्यतिथि को हमने एक माध्यम बनाया है।
उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू अपनी सरकार की आलोचना को सकारात्मक ढंग से लेते थे और संसद में हमेशा अपनी सरकार की आलोचना सुनने पूरे समय मौजूद रहते थे। उन्होंने कहा कि लोहिया और नेहरू दोनों ही गांधी के अन्यतम शिष्य थे और जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या की गई उसे दिन बुलावे पर लोहिया अपने घर से महात्मा गांधी से मिलने ही निकले थे लेकिन रास्ते में ही उनको खबर लगी कि महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई है। इसके बाद लोहिया जिंदगी भर महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते रहे इसी तरह नेहरू ने भी हमेशा गांधी का ही रास्ता चुना।
अध्यक्षता कर रहे एचएमएस के महामंत्री प्रमोद कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा दौर में विपक्ष को लगातार कमजोर किया जा रहा है है जिसका सीधा असर श्रमिक और श्रम कानून पर पड़ा है। आज उद्योगों और उद्योगपतियों के हित में श्रम कानून बनाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम है।
इसके पूर्व शुरूआत में स्वागत के उपरांत प्रतिष्ठान की ओर से अध्यक्ष आरपी शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि-हम क्या थे और क्या हो गए? 15 लाख नगद और 2 करोड़ नौकरी के चक्कर में आज हमारी यह स्थिति है। 80 करोड लोगों को 5 किलो मुफ्त अनाज हमारे देश की दुर्दशा को बयां करती है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत देश को लोहिया के आदर्शवाद को अपनाने की है और नेहरू के लोकतंत्र के मॉडल को साकार करने की है। उन्होंने कहा कि आज इलेक्टोरल बांड के नाम पर जिस संगठित वसूली का पर्दाफाश हुआ है, आजाद भारत में इससे बड़ा भ्रष्टाचार नहीं हुआ। देशवासियों को इसका जवाब देना ही होगा।
इस मौके पर समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) के प्रदेश महासचिव नंदकिशोर साहू, कपिल देव प्रसाद, जीवन नंदन राय, डीपी सिंह, शिवकुमार प्रसाद, त्रिलोक सिंह, त्रिलोक मिश्रा, सत्यनारायण गुप्ता, मिश्री राम रजक, त्रिभुवन मिश्रा और बीएम सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।