नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को बंद पड़ी एयरलाइन गो फर्स्ट की समाधान प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समय सीमा 60 दिन और बढ़ा दी। दिल्ली स्थित एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ ने कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग करने वाली गो फर्स्ट के द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया।
आरपी की ओर से पेश दिवाकर माहेश्वरी ने तर्क दिया कि अब तक तीन पक्षों ने गो फर्स्ट के लिए अपनी रुचि की अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है और बयाना राशि जमा की है। इन कंपनियों से गो फर्स्ट के लिए समाधान योजनाएं प्रस्तुत करने की उम्मीद की जाती है
10 मई, 2023 से गो फर्स्ट सीआईआरपी से गुजर रही है। बता दें कि यह एनसीएलटी द्वारा दिया गया दूसरा ऐसा विस्तार है। ट्रिब्यूनल ने पिछले साल 23 नवंबर को 90 दिनों का विस्तार दिया था, जो 4 फरवरी को समाप्त हो गया।
गो फर्स्ट को खरीद सकती है ये कंपनियां
स्पाइसजेट, शारजाह स्थित स्काई वन और अफ्रीकी महाद्वीप-केंद्रित फर्म सैफ्रिक इन्वेस्टमेंट्स सहित तीन कंपनियों ने गो फर्स्ट को खरीदने में रुचि दिखाई है। दिवाला और दिवालियापन संहिता 330 दिनों के भीतर सीआईआरपी को पूरा करने का आदेश देती है, जिसमें मुकदमेबाजी के दौरान लगने वाला समय भी शामिल है।
संहिता की धारा 12(1) के अनुसार सीआईआरपी 180 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। हालाँकि, किसी भी विस्तार या मुकदमेबाजी अवधि सहित, सीआईआरपी को अनिवार्य रूप से पूरा करने की अधिकतम समय सीमा 330 दिन है, जिसमें विफल रहने पर कॉर्पोरेट देनदार को परिसमापन के लिए भेजा जाता है।
10 मई को, एनसीएलटी ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही शुरू करने के लिए गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार कर ली। बता दें कि गो फर्स्ट ने 3 मई को उड़ान बंद कर दी।