Home राजनीति बिहार में सत्ता का संग्राम…पटना से लेकर दिल्ली तक बन रही रणनीति

बिहार में सत्ता का संग्राम…पटना से लेकर दिल्ली तक बन रही रणनीति

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पटना । बिहार में सियासी उथल-पुथल मची हुई है. बिहार राजनीतिक महाभारत का कुरूक्षेत्र बन गया है। शह-मात का खेल चल रहा है। जदयू और राजद के अपने-अपने दावे हैं। वहीं भाजपा और कांग्रेस भी अपना गणित बैठा रही है। बिहार में नीतीश-लालू का गठबंधन टूट गया है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश रविवार सुबह 10 बजे राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके साथ ही वे नई सरकार बनाने का दावा भी पेश करेंगे। जदयू कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। नीतीश राज्यपाल से रविवार को ही नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाने को भी कहेंगे। पार्टी सूत्रों का दावा है कि नीतीश 2 डिप्टी सीएम के साथ शपथ लेंगे। उधर, बिहार में पल-पल सियासी समीकरण बदल रहे हैं। इसी बीच सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के मुखिया जीतन राम मांझी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फोन पर बात की है। राहुल ने जीतन राम को इंडिया गठबंधन में आने का न्योता दिया है।
इधर, पटना में राजद की बैठक के दौरान तेजस्वी ने दावा किया कि असली खेला होना अभी बाकी है। नीतीश हमारे आदरणीय थे और रहेंगे। जो काम दो दशकों में नहीं हुआ, वह हमने कम समय में कर दिखाया। लालू ने अपने मंत्रियों से कहा- इस्तीफा नहीं दें। वहीं, दिल्ली से पटना पहुंचे भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिंह ने कहा कि दुनिया ने मोदी का सुशासन देखा है। अब बिहार की जनता भी मोदी का सुशासन देखना चाहती है। बिहार की राजनीति में सियासी उठापटक जारी है। हाल के दिनों में हुए घटनाक्रमों और सामने आए बयानों से अटकलें लग रही हैं कि बिहार में जदयू एक बार फिर एनडीए में शामिल होने को तैयार है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार महागठबंधन को छोडक़र भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के साथ आ रहे हैं। इससे पहले तीन बार जदयू ने साथी बदला है लेकिन दिलचस्प है कि नीतीश कुमार हर बार मुख्यमंत्री रहे। भले उनकी पार्टी के विधायकों की संख्या उनके सहयोगी से कम रही हो।
बिहार में अभी खेल होना बाकी है
बिहार में सियासी गहमागहमी के बीच आरजेडी के नेताओं की बैठक हुई। बैठक में तेजस्वी यादव ने कहा कि मैंने गठबंधन धर्म को निभाया है। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा नीतीश का सम्मान किया। सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव ने राज्य में कई बड़े घटनाक्रम होने के संकेत भी दिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेरे साथ मंच पर बैठते थे और पूछते थे कि 2005 से पहले बिहार में क्या था? मैंने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी। अब हमारे साथ अधिक लोग हैं, दो दशकों में जो कुछ भी अधूरा रह गया था, हम उसे हासिल करने में कामयाब रहे। भले ही नौकरियां हों, जाति जनगणना हो, आरक्षण बढ़ाना हो, थोड़े ही समय में हमने ये किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में अभी खेल होना बाकी है। सूत्रों के मुताबिक लालू ने अपने सभी विधायकों को पटना में बने रहने के लिए कहा है। साथ ही मोबाइल फोन बंद नहीं करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अपने विधायकों से ये भी कहा कि किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहें। आरजेडी की बैठक खत्म होने के बाद मनोज झा ने कहा कि बैठक बहुत सकारात्मक रही, हमने मौजूदा हालात के हर पहलू पर चर्चा की। हमारे नेता लालू प्रसाद, जो भी निर्णय लेंगे हम उसे मानेंगे। हम इस सरकार को गिराने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते, इस सरकार ने बिहार की जनता के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि यह विधानमंडल की बैठक थी, जिसमें लालू यादव, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और सभी विधायक शामिल थे। हम सभी ने लालू यादव को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया है।
मांझी लगाएंगे पार!
उधर, जीतन राम मांझी के लिए कहा जा रहा है कि वह आरजेडी की नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं, साथ ही वह एनडीए के लिए भी बेहद अहम हैं। क्योंकि जीतनराम की पार्टी हम के 4 विधायक हैं, अगर आरजेडी उन्हें अपने पाले में ले लेती है, तो महागठबंधन 118 सीटों का आकंड़ा छू लेगा। इसमें आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक भी शामिल हैं।अगर एआईएमआईएम का एक और एक निर्दलीय विधायक भी महागठबंधन के साथ जाते हैं तो ये आंकड़ा 120 तक पहुंच जाएगा। हालांकि सरकार बनाने के लिए 2 विधायकों की जरूरत तब भी पड़ेगी। हालांकि जीतनराम मांझी ने बिहार के सियासी संकट पर कहा था कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं है और कोई किसी का परमानेंट दुश्मन नहीं होता है। वहीं, भाजपा के सहयोगी और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने दावा किया है कि बिहार सरकार एक-दो दिन में गिर सकती है।