नई दिल्ली। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों 25-26 जनवरी को 2 दिन के राजकीय दौरे पर भारत आए थे। इस दौरान भारत-फ्रांस के बीच कई समझौते हुए। पीएम नरेंद्र मोदी और मैक्रों ने दोनों देशों में डिफेंस इंडस्ट्रियल सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई। साथ ही इसके लिए रोडमैप भी तैयार किया गया। दोनों नेताओं ने स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन और उसके पुर्जों को भारत में ही बनाने के लिए हुए समझौते का स्वागत किया।
उन्होंने इस प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस का भी मुआयना किया। साथ ही भारत में राफेल फाइटर जेट के इंजनों के लिए सेफरान कंपनी की तरफ से रखरखाव, मरम्मत और इसके ऑपरेशन की फेसिलिटी तैयार करने के लिए हुए समझौते का भी स्वागत किया गया। इसके अलावा सेफरान कंपनी आईएमआरएच हेलिकॉप्टर इंजन बनाने के लिए भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच जॉइंट वेंचर करेगी।
वडोदरा में बनेंगे एच125 सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर
टाटा ग्रुप और फ्रांस की एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एयरबस के बीच भी अहम समझौता हुआ। इसके तहत दोनों कंपनी साथ मिलकर भारत में एच125 सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर बनाएंगी। ये हेलीकाप्टर कॉमर्शियल यूज के लिए बनाए जाएंगे। टाटा ग्रुप की टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड कंपनी इन हेलीकॉप्टरों के लिए असेम्बली लाइन मैनेज करेगी। ये हेलीकाप्टर गुजरात के वडोदरा में मैन्युफैक्चर किए जाएंगे। यहां पहले से ही टाटा और एयरबस मिलकर 40 सी295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बना रहीं हैं। इन सिंगल इंजन एच130 हेलिकॉप्टरों का उपयोग मेडिकल एयरलिफ्ट, सर्विलांस मिशन, वीआईपी ड्यूटीस और साइटसीइंग सर्विसेज के लिए किया जाएगा।
क्या है स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन का समझौता
इससे पहले पिछले साल पीएम मोदी के फ्रांस दौरे पर मेक इन इंडिया के तहत मझगांव डॉकयाड्र्स लिमिटेड में 3 और स्कॉर्पीन (कलवारी) क्लास अटैक की पनडुब्बियों को बनाने के लिए समझौता हुआ था। भारत ने 2005 में फ्रांस के नेवल ग्रुप से स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन बनाने के लिए 3.75 अरब डॉलर यानी करीब 28.6 हजार करोड़ का समझौता किया था। इन सबमरीन को पब्लिक सेक्टर की कंपनी मझगांव डॉकयाड्र्स लिमिटेड ने फ्रांस के सहयोग से देश में ही बनाया है।
डिफेंस रिसर्च में साझेदारी के लिए साइन होंगे एमओयू
इसके बाद ये इंजन भारत में ही तैयार हो सकेंगे। फ्रांस के डायरेक्टर जनरल ऑफ आर्मामेंट और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के बीच भी डिफेंस रिसर्च में साझेदारी को लेकर बातचीत जारी है। दोनों ही संस्थान जल्दी ही इसको लेकर रूश साइन करेंगे। भारत-फ्रांस के बीच रक्षा क्षेत्र में हुए समझौतों को आत्मनिर्भर भारत मिशन के लिए अहम माना जा रहा है। यह भारतीय सेनाओं को इंडिपेंडेंट बनाने के लिए भी अहम कदम है। साथ ही 2047 तक विकसित भारत के टारगेट को लेकर भी भारत-फ्रांस ने साइंस, तकनीक और डिजिटल डेवलपमेंट में साझेदारी पर चर्चा की।