भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम जी रंजन ने कौशल विकास के जरिए मानव पूंजी में सुधार की पुरजोर वकालत करते हुए कहा है कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा रोजगार सृजन के दबाव का सामना कर रही है।
पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर रोहित लांबा और उनके द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक ‘ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर’ के बारे में बात करते हुए राजन ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत में से एक इसकी 1.4 अरब की मानव पूंजी है और अब सवाल यह है कि आप इसे मजबूत कैसे बनाएंगे?
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने आरक्षण पर दिया ये बयान
अमेरिका के शिकागो बूथ में वित्त विभाग के प्रोफेसर राजन ने कहा कि देश को विकास के पथ पर चलते हुए हर स्तर पर रोजगार सृजन की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘नौकरियां सबसे महत्वपूर्ण दबाव बिंदु हैं। अगर हमारे पास निजी क्षेत्र में कई और नौकरियां दिखाई दे रही होतीं, तो क्या आरक्षण पर इतना दबाव होता? उन्होंने खेद व्यक्त किया कि राज्य अपने निवासियों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।
उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य की ओर से इशारा करता है कि हम नौकरियां प्रदान नहीं कर रहे हैं। मैं कहूंगा कि यह प्राथमिक चिंता का विषय है। राजन ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “हम एकजुट देश हैं। आप अपने राज्य में राज्य के लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित नहीं कर सकते। यह सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए। हमें एक-दूसरे के पलायन से बहुत फायदा हुआ है।
मानव पूंजी में सुधार की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, “अगर हम सुशिक्षित हाई स्कूल स्नातक तैयार करते हैं, अगर हम उनमें से कुछ को व्यावसायिक प्रशिक्षण में ले जाते हैं तो अगले छह महीने से एक साल में बहुत सारी नौकरियां पैदा हो सकती हैं और देश को रोजगार पैदा करने के लिए 10 साल तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।”
एक उदाहरण देते हुए राजन ने कहा, “एक जगह जहां हमारे पास कर्मचारियों की भारी कमी है, वह है स्थानीय सरकार, आंशिक रूप से क्योंकि वे बहुत कुछ नहीं करते हैं। आपको उन कार्यों में सुधार करने की आवश्यकता है जो उन्हें करना है।”
मानव पूंजी में सुधार से नौकरियों की जरूरत होंगी पूरीः रघुराम राजन
राजन ने आगे कहा, “अगर हम मानव पूंजी में सुधार करते हैं, तो आज की सबसे बड़ी समस्या, जिन नौकरियों की हमें जरूरत है, वे अपने आप आ जाएंगी… यदि आप कार्यबल की गुणवत्ता में भी सुधार करते हैं, तो कंपनियां भारत आएंगी। हम लगातार उद्यमियों से सुनते हैं (कि उन्हें) अच्छे श्रमिक मिलने को लेकर संदेह है।” उन्होंने कहा कि कौशल प्रदान कर के औसत स्तर की नौकरियों को अच्छी नौकरियों में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह वास्तव में इस बारे में है कि हम लंबा दृष्टिकोण अपनाकर ऐसा कैसे करते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने के हम 2047 में एक ऐसी आबादी का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं जिसकी उच्च मध्यम आय हो सकती है। राजन ने विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक संस्थानों में सुधार पर ध्यान देने के साथ शासन में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें शासन में सुधार की जरूरत है। जिसका मतलब है कि हमे लोकतंत्र के निर्माण और विकेंद्रीकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अच्छे विकेंद्रीकरण का एक उदाहरण एक ऐसा दैनिक प्रशासन है जिसे गरीबों और मध्यम वर्ग को शिक्षा, मोबाइल ऐप क्लीनिक आदि जैसी सामाजिक सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत को मजबूत लोकतंत्र की जरूरत है, कमजोर लोकतंत्र की नहीं, इसके अलावा वितरण को मजबूत करने और अधिक समावेशी बनने के अलावा हमारे सभी लोगों को अपने साथ लेकर चलने की जरूरत है। हमें लोगों, उद्यमियों के लिए अवसर पैदा करने की जरूरत है।