भारत में डिजिटल करंसी या ई-रुपये का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अब तक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित 13 बैंक डिजिटल करेंसी का वितरण शुरू कर चुके हैं। आइये जानते हैं कि डिजिटल करेंसी है क्या? ये यूपीआई से कैसे अलग है और आप इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं।
क्या है डिजिटल करेंसी
डिजिटल करेंसी आपके बैंक नोट का ही डिजिटल स्वरूप है। इसका नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी है। ये करेंसी नोट का डिजिटल फार्म है, जिसे आरबीआई जारी करता है। बैंक नोट भी रिजर्व बैंक ही जारी करता है। जिस तरह से हम किसी दुकान पर सामान लेते हैं और उसके लिए बैंक नोट देते हैं, उसी तरह ई-रुपया भी देंगे, लेकिन इसे डिजिटल तरीके से दिया जाएगा यानी मोबाइल से।
कैसे काम करता है ई-रुपया
अभी खुदरा और थोक लेनदेन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत बैंकों के जरिये डिजिटल रुपया वितरित किया जा रहा है। आरबीआई ने टोकन बनाया है और पायलट प्रोग्राम के तहत चुने गए बैंकों को ये टोकन जारी किए गए हैं। अब तक 13 बैंक 26 स्थानों पर खुदरा लेनदेन के लिए कुछ ग्राहकों को टोकन दे चुके हैं। अगर आप को टोकन मिलता है तो आपको पहले ऐप का इस्तेमाल करते हुए इसे डिजिटल वॉलेट में स्टोर करना होगा, इसके बाद आप इससे लेन-देन कर सकते हैं।
ई-रुपये का लेन-देन यूपीआई से कितना अलग
यूपीई व्यक्तियों या कारोबारों से लेनदेन करने का सरल और तेज तरीका है। इसमें पैसा सीधे यूपीआई से जुड़े बैंक खाते से जाता है। यही वजह है कि यूपीआई पेमेंट तेजी से लोकप्रिय हो गया है। वित्त वर्ष 2023 में यूपीआइ के जरिये 139 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। ई-रुपये में भी लेन देन ठीक यूपीआई की तरह क्यूआर कोड स्कैन करके किया जा रहा है। हालांकि, आरबीआई का कहना है कि सीबीडीसी में ऑफलाइन फीचर भी होगा। इससे इसका इस्तेमाल देश के दूरदराज के इलाकों में भी किया जा सकेगा, जहां मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता न हो।
कैसे होगा लेन-देन
अभी हम दुकानदार को नोट के बदले पेटीएम या गूगल पे से पेमेंट करते हैं। इसी तरह से हम नोट के बदले अपने खाते से ई-रुपया दे सकते हैं। व्यक्तियों को भी नोट की जगह पर रुपये का लेन देन किया जा सकता है। ई-रुपया आने से बैंक नोट बंद नहीं होगा, बल्कि लोगों को लेन-देन का एक और साधन मिला है।
ई-रुपये से फायदे
डिजिटल करेंसी को किसी खास मकसद के लिए वितरित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए- नकदी में सरकारी फंड का दुरुपयोग किया जा सकता है। लेकिन डिजिटल करेंसी के साथ सरकार या निजी क्षेत्र की कंपनी यह सुनिश्चित कर सकती है कि इसका इस्तेमाल पहले से तय काम के लिए ही किया जाए।