नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में आज धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत ईडी की शक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले पर सुनवाई जारी रखेगा। अदालत ने कहा कि वह सॉलिसिटर जनरल से सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन उनको सुनवाई शुरू करने दी जाए। जिन याचिकाओं पर अदालत सुनवाई कर रहा है इनको कई मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के आरोपियों ने दायर किया है। केंद्र की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि पहले याचिकाओं में केवल 2 प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी गई थी, लेकिन अब कई अन्य प्रावधानों को चुनौती दी गई है। धन शोधन निवारण अधिनियमवर्तमान में देश के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानून है।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा यह जब्ती आपके दोषी ठहराए जाने के बाद अभियोजन की सहायता के लिए है, लेकिन, विजय मदनलाल मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम की व्याख्या एक नियामक कानून के रूप में करते हैं। जब आपकी संपत्ति कुर्क हो जाती है, आपका बैंक खाता जब्त हो जाता है, एक व्यापारी का व्यवसाय समाप्त हो जाता है। आपके पास इस तरह के कठोर प्रावधान नहीं हो सकते।
एसजी तुषार मेहता ने कहा, एक राष्ट्र के रूप में हमें गर्व होना चाहिए कि एक ऐसा प्रावधान है जो जब्त की गई संपत्ति को वैध हित के साथ दावेदारों को वापस करने की अनुमति देता है। विशेषकर बैंक धोखाधड़ी के मामलों में पीड़ितों को लगभग 17,000 करोड़ रुपये की राशि लौटाई गई है।
सिब्बल ने कहा, मैं 35 साल से सांसद हूं, और यहां तक कि विपक्ष में भी। ऐसा कानून कभी नहीं देखा। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने पूछा कि, 2002 में जब यह कानून बना था तो आप विपक्ष में थे?
सिब्बल ने कहा, यह उचित नहीं है, हो सकता है कि इसे एक सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया हो और एक सरकार द्वारा संशोधित किया गया हो, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि इसे इस तरह से लागू किया जाएगा। बाद के संशोधन समस्या हैं।