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प्रलय मिसाइल बढ़ाएगी सेना की ताकत, रक्षा मंत्रालय ने दी खरीद की मंजूरी

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नई दिल्ली । भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के ‎लिए रक्षा मंत्रालय ने ‘प्रलय’ बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीदी को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय ने एक रेजिमेंट के अधिग्रहण के लिए यह मंजूरी दी है। इन्हें नियंत्रण रेखा पर तैनात किया जाएगा। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि सेना की सैन्य क्षमताओं में अधिक मारक क्षमता जोड़ने का निर्णय रक्षा अधिग्रहण परिषद की हालिया बैठक के दौरान लिया गया था। यह सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। प्रलय सेना की सूची में सबसे लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल होगी। प्रलय ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ मिलकर भारत की रॉकेट फोर्स का आधार बनेगा। चीन और पाकिस्तान दोनों ने पहले ही सामरिक उद्देश्यों के लिए बैलिस्टिक मिसाइलों को तैनात किया है।
हालां‎कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित सैन्य आवश्यकताओं के अनुसार रेंज में और वृद्धि के लिए तैयार हैं। यह खरीद इन मिसाइलों के अधिग्रहण के लिए भारतीय वायु सेना को दी गई इसी तरह की मंजूरी के बाद की गई है। प्रलय की खासियतों की बात करें तो ‘प्रलय’ बैलिस्टिक मिसाइलों की मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर तक है। यह लगभग 350 किलोग्राम से 700 किलोग्राम तक के घातक हथियार ले जाने में सक्षम है।यह एक उच्च विस्फोटक पूर्वनिर्मित विखंडन वारहेड, पेनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट (पीसीबी) और भगोड़ा इनकार प्रवेश सबम्यूनिशन (आरडीपीएस) भी ले जा सकता है।
प्रलय’ को अर्ध-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें इंटरसेप्टर मिसाइलों को विफल करने के लिए डिज़ाइन की गई उन्नत क्षमताएं हैं। यह एक निश्चित दूरी तय करने के बाद उड़ान के बीच में अपने प्रक्षेप पथ को बदलने की क्षमता प्रदर्शित करता है। मिसाइल एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर द्वारा संचालित होती है और इसकी मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन और एकीकृत एवियोनिक्स सहित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है। इसकी तुलना चीन की डोंग फेर 12 और रूसी इस्कंदर मिसाइल से की जा सकती है जिसका इस्तेमाल यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में किया गया है।