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भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर अधर में लटका व्यापार मिशन

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नईदिल्ली। कनाडा में भारत विरोधी खालिस्तानी चरमपं‎थियों की गतिविधियों को लेकर उत्पन्न तनाव के चलते भारत और कनाडा के बीच व्यापार मिशन अधर में लटक गया है। योजना इस साल अक्टूबर में शुरू होनो वाली थी, मगर दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार वार्ता रुक जाने की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया है। नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक बैठक के दौरान तनाव था। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के बाद पीएमओ ने कथित तौर पर कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त करने के लिए ट्रूडो की सार्वजनिक रूप से आलोचना की, जबकि ट्रूडो ने कनाडा की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर चिंता जताई।
शुक्रवार को जारी एक बयान में, कनाडाई व्यापार मंत्री मैरी एनजी के एक प्रवक्ता ने व्यापार मिशन बंद करने का स्पष्टीकरण नहीं दिया और न ही किसी को भेजने संबंधी भविष्य की कोई तारीख दी। इस व्यापार वार्ता के लिए कनाडा के अधिकारी मुंबई जाने वाले थे, जहां ऑटोमोबाइल, कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना था। एनजी के प्रवक्ता ऐलिस हेन्सन ने कहा ‎कि वे भारत में आगामी व्यापार मिशन को स्थगित कर रहे हैं। अगले साल वे कारोबार को जापान, इंडोनेशिया, कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस और वियतनाम ले जाएंगे।
कनाडा और भारत भी शीघ्र प्रगति व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की दिशा में औपचारिक बातचीत चल रही थी। मगर ट्रूडो की भारत यात्रा से कुछ समय पहले यह पता चला कि उन वार्ताओं को रोक दिया गया है। एनजी ने इस सप्ताह मी‎डिया से कहा कि दोनों पक्ष अधिक स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श करने के लिए बातचीत पर सोच विचार करने के लिए समय ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह इन बातचीतों का एक सामान्य हिस्सा है।
भारत के व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत के सामने कुछ मुद्दे गंभीर चिंता का विषय हैं। पीएम मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में ट्रूडो के साथ इन मुद्दों पर प्रकाश डाला था। हम इसे आगे बढ़ाने से पहले इनमें से कुछ मुद्दों के समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। कनाडा में चरमपंथी गुट खालिस्तान के भारत विरोधी प्रदर्शनों को लेकर मोदी सरकार हमेशा कनाडा की ट्रूडो सरकार से सवाल करती रही है। ट्रूडो ने कहा है कि उनका देश किसी भी हिंसा या नफरत की निंदा करता है, लेकिन उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध की रक्षा भी करनी चाहिए।