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*फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच व कार्यवाही मे विलंब के लिए दोनो सरकारे दोषी-अनिल

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*फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच व कार्यवाही मे विलंब के लिए दोनो सरकारे दोषी*

*2003-04 से जांच व कार्यवाही की की जा रही थी मांग – मंत्रालय सहित अनेक विभागो मे कार्यरत है फर्जी प्रमाण पत्र धारी*

*नग्न होकर प्रदर्शन करना जताता है एससी एसटी समाज की हताशा, हालांकि यह तरीका संवैधानिक नही*

भिलाई /अनुसूचित जाति जनजाति संगठनो का अखिल भारतीय परिसंघ छ.ग.राज्य के प्रदेश अध्यक्ष अनिल मेश्राम ने प्रदेश की राजधानी रायपुर की सड़को पर दलित आदिवासी समुदाय के युवाओ द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारको के विरूद्ध जांच व कार्यवाही मे अत्यधिक विलंब को लेकर किये गए नग्न प्रदर्शन पर कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के उपरांत प्रदेश की प्रथम जोगी सरकार के समय ही मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान सहित अनेक राज्यो के लोगो ने जाति के शाब्दिक अपभ्रंश का फायदा उठाकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर राज्य के मंत्रालय सहित अनेक महत्वपूर्ण विभागो मे आरक्षण के जरिए नौकरिया प्राप्त कर ली थी। इसकी जानकारी प्राप्त होने पर परिसंघ द्वारा वर्ष 2003-2004 मे ही तत्कालीन मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से फर्जी दस्तावेजो के जरिए जाति प्रमाण पत्र बनाकर नियुक्तिया प्राप्त करने वालो के विरूद्ध जांच व कार्यवाही की मांग की गई थी जिस पर 2008 से 2010 के बीच कुछ लोगो पर कार्यवाही की गई थी। सैकड़ो लोगो को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी मिलने से वास्तविक व मूल दलित व आदिवासी वर्ग के बेरोजगार युवाओ के अधिकारो का हनन हो रहा था जिस पर सही समय पर उचित कार्यवाही हो जानी चाहिए थी। कार्यवाही मे विलंब और बेरोजगारी से परेशान अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के युवाओ की हताशा और आक्रोश ही नग्न प्रदर्शन के रूप मे सामने आया। यह कांग्रेस और भाजपा दोनो सरकारो की लचर कार्यप्रणाली व सुस्त प्रशासनिक व्यवस्था को उजागर करता है। श्री मेश्राम ने कहा कि किसी भी अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना हमारा संवैधानिक अधिकार है किन्तु उसका तरीका भी संवैधानिक ही होना चाहिए।*