नई दिल्ली। कांग्रेस, आप और टीएमसी समेत करीब 20 विपक्षी दलों के नेता 23 जून को पटना में एक मंच पर आने वाले हैं। ये पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से संयुक्त रूप से लड़ने के लिए आम सहमति बनाने में लगी हैं। हालांकि, इन विपक्षी नेताओं के बीच भी एक-दूसरे को लेकर बहस चल रही है। दूसरी ओर, 23 जून को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाशिंगटन में भारतीय-अमेरिकियों की एक सभा को संबोधित करने वाले हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि बीजेपी की हाल के दिनों में शायद सबसे बड़े मोदी-विरोधी एकजुटता पर नजर नहीं है। भाजपा भी इसके संभावित प्रभावों की अनदेखी नहीं कर रही। विपक्षी दलों के एकजुट होने की कोशिशों के बीच बीजेपी आलाकमान भी ‘प्लास प्लान’ पर काम कर रहा है।
एक तरफ जहां, विपक्ष एकता के लिए छटपटा रहा है तो वहीं एनडीए के भीतर भी कुछ ऐसा ही स्थिति है। बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ हाल ही में एक अहम बैठक हुई थी। इस दौरान पीएम मोदी के निर्देशों के पालन पर जोर दिया गया। भाजपा के प्रयासों के नतीजे भी अब दिखने लगे हैं। चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार पर 2018 में एनडीए से बाहर हो गई थी, वो अब बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में लौटने की योजना बना रही है। नायडू अब पीएम पद के आकांक्षी नहीं रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, नायडू ने तेलंगाना और राष्ट्रीय चुनावों से पहले दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान गठबंधन को लेकर चर्चा हुई।
LJP में एकजुटता के प्रयास
ऐसा ही एक दल लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग पासवान का गुट) है। यह फिलहाल न तो यहां और न ही वहां नजर आ रहा है। LJP की स्थापना 2000 में दलित नेता रामविलास पासवान ने की थी। पासवान की मृत्यु के बाद 2020 में चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच पार्टी की विरासत को लेकर संघर्ष हुआ। आखिरकार, 2021 में पशुपति पारस लोकसभा में लोजपा के नेता चुने गए और जल्द ही मोदी कैबिनेट के मंत्री भी बन गए। इस बीच, नीतीश ने एक बार फिर पिछले साल अगस्त में भाजपा को छोड़ दिया। जदयू ने विपक्ष के महागठबंधन (राजद, कांग्रेस और वामदलों के अलावा कुछ अन्य दल) के साथ गठबंधन किया, तो चीजें बदलने लगीं। पिछले साल चिराग ने बिहार में मोकामा, कुरहानी और गोपालगंज उपचुनावों के लिए बीजेपी के लिए प्रचार किया। समझा जाता है कि भगवा पार्टी ने पासवान नेताओं को कहा है कि वे मतभेद भुलाकर एनडीए को मजबूत करें। ऐसे में इस बात की भी चर्चा तेज है कि चिराग पासवान का गुट एनडीए के साथ जा सकता है।