नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक पार्टियों ने बिहार में सियासी ज़मीन मज़बूत करने में जुट गई है। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता को मज़बूत करने में जुटे हैं।
इसी क्रम हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी के बयान से सियासी पारा चढ़ गया है।
जीतन राम मांझी ने हाल ही में मीडिया से मुख़ातिब होते हुए कहा कि उनकी पार्टी कभी भी महागठबंधन का हिससा नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने ना ही महागठबंधन का हिस्सा थी और ना ही हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा महागठबंधन से अलग हुई है।
मांझी ने कहा कि HAM महागठबंधन में नहीं नीतीश कुमार के साथ थी। यह बात हमेशा से कहते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमको महागठबंधन से मतलब नहीं है। खुलकर यह बात कह रहे हैं कि हम नीतीश कुमार के साथ हैं। बिहार कैबिनेट से मांझी के बेटे के इस्तीफे के बाद से सियासी कयासबाज़ी शुरू हो गई है।
बिहार के सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज़ है कि मांझी पलटी मार सकते हैं, हाल ही में उन्होंने बयान दिया था कि नीतीश कुमार उनके साथ गलत कर रहे हैं। अब वह कह रहे हैं कि, नीतीश के साथ हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मांझी के साथ नीतीश गलत कर रहे हैं, तो फिर वह साथ होने का राग क्यों अलाप रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता को मज़बूत करने में जुटे हैं, कहीं अंदर ही अंदर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी नीतीश को झटका देने की प्लानिंग तो नहीं कर रहे हैं। नीतीश के कैबिनेट से मांझी के बेटे ने इस्तीफा दिया, उसके बाद से ही यह चर्चा है कि नीतीश भाजपा के खिलाफ एकजुट करने में जुटे हैं।
HAM भाजपा के लिए ही ज़मीन तैयार करने में जुट गई है। नीतीश कुमार के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है कि भाजपा के खिलाफ बिहार में सियासी समीकरण बना सकें, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी जोड़ तोड़ की राजनीति में एक्सपर्ट है। अभी से ही भाजपा ने नीतीश कुमार के खिलाफ प्लान तैयार कर लिया है।