कोदो, कुटकी, रागी जैसे लघु धान्य फसलों का उत्पादन जिले के वनांचल क्षेत्रों में किया जाता है। लघु धान्य फसलें पौष्टिक गुणों से भरपूर होती हैं। इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्व बहुत ही गुणकारी एवं औषधीय तत्वों से भरपूर हैं। लघु धान्य जैसे कोदो, रागी आदि में पाये जाने वाले पोषक तत्व शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत लाभदायक है। कृषक स्थानीय बाजार एवं व्यापारियों को 2000-2500 रूपए प्रति क्ंिवटल की दर से रागी एवं कोदो का विक्रय करते हैं। शासन द्वारा लघु धान्य फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है और समर्थन मूल्य 3377 रूपए रागी, कोदो 3000 रूपए प्रति क्ंिवटल की दर से क्रय करने के निर्णय के बाद किसानोंं का लघु धान्य फसलों के प्रति रूझान बढ़ा है और उनमेंं काफी उत्साह है। कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने लघु धान्य फसल का रकबा बढ़ाने के लिए विशेष रूप से निर्देशित किया है। इष वर्ष खरीफ फसल 2022-23 में कृषि विभाग द्वारा लघु धान्य फसलों के क्षेत्र विस्तार में विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बढ़ाया जा रहा है कोदो रागी का रकबा-
कृषि विभाग के विभिन्न योजनाओं के तहत उप संचालक कृषि श्री जीएस धुर्वे के मार्गदर्शन में जिले के सुदूर वनांचल वनवासी क्षेत्रों में कोदो व रागी की कृषि के लिए किसानों को प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित किया जा रहा है। अम्बागढ़ चौकी, मोहला, मानपुर एवं छुईखदान विकासखंडों के वनांचल क्षेत्रों में उच्च कोटि के बीज एवं वर्मी कम्पोस्ट आदि आदान सामग्री का नि:शुल्क वितरण कर कृषि की उन्नत तकनीक को अपनाते हुए अधिक से अधिक गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने के उद्देश्य से कृषकों को प्रशिक्षित करते हुए मिलेट मिशन योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं आत्मा योजनांतर्गत 5050 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कोदो-कुटकी एवं रागी फसल का प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है। साथ ही बीज उत्पादन कार्यक्रम के माध्यम से लघु किस्म के बीजों का द्विगुणनन भी किया जा रहा है। जिसमें जिले के गौठानों से उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया जा रहा है।
बीपी शुगर के मरीजों के लिये है रामबाण –
कोदो एवं रागी एक उत्कृष्ट गुणकारी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। जिसमें रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले गुण पाये जाते हैं, कोदो, मिलेट या ग्रास के नाम से जाना जाता है। कोदो औषधीय महत्व की फसल है। इसे शुगर फ्री चावल के नाम से ही पहचान मिली है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त आहार है। मिलेट स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए वरदान है, जिससे आधुनिक जीवन शैली की बीमारियां मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड, मोटापा, गठिया, एनीमिया और 14 प्रकार के कैंसर ठीक किए जा सकते हैं। कोदो बुरे कोलेस्ट्रोल घटाने में भी मददगार साबित होता है। खाद्यान्न फसलों में कोदो भारत का एक प्राचीन अन्न है। इसकी खेती अनउपजाऊ भूमियों में बगैर खाद, पानी के की जाती है। रागी में कैल्शियम, विटामिन्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट जैसे तमाम जरूरी पोषक तत्व होते हैं। रागी में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावा फाइबर भी भरपूर मात्रा में होने से ये शुगर और वजन कम करने में भी यह सहायक है। इसे खाने से तनाव वाले मरीजों को भी राहत मिलती है। रागी को पीसकर, अंकुरित करके खाया जाता है। खून की कमी है और कम हिमोग्लोबिन वाले मरीजों के लिए भी यह लाभदायक है। सुबह नाश्ते में इसे लेने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल जाते है। कैल्शियम से भरपूर रागी में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। 100 ग्राम में 344 मिलिग्राम कैल्शियम मिलता है। हड्डियों को कमजोर होने से हुई बीमारियों में इसे खाने की सलाह दी जाती है। यही नहीं बढ़ते बच्चों के लिए यह फायदेमंद है। इसके अलावा रागी विटामिन डी का भी अच्छा स्त्रोत है। एनिमिया में भी रागी फायदेमंद है। यह आयरन का अच्छा स्त्रोत है, इसलिये जिनको खून की कमी है और कम हिमोग्लोबिन वाले मरीजों के लिए यह लाभदायक है। अगर रागी अंकुरित करके खाया जाए तो विटामिन सी को लेवल और अधिक बढ़ जाता है और आयरन शरीर में आसानी से पच जाता है और खून में आसानी मिल जाता है। रोज रागी के सेवन से चिंता, तनाव से छुटकारा मिलता है। दरअसल इसमें एमिनो एसिड एंटीआक्सीडेंट होते है, जो प्राकृतिक तरीके से तनाव मुक्त रखते हंै। माइग्रेन की बीमारी में भी रागी बेहद फायदेमंद है। वजन कम करने और शुगर में भी लाभदायक है। आने वाले समय में जिले के जनसामान्य को जैविक कोदो एवं रागी आसानी से उपलब्ध हो पाएगा।