राजनीति में नेताओं के दल बदलने का चलन नया नहीं है. तेजी से पाला बदलने की इस प्रवृत्ति को लेकर आयाराम-गयाराम की कहावत ही बन गई. आइए जानते हैं कि कहां से और कैसे शुरू हुई यह कहावत और किस तरह से यह वर्तमान राजनीति का सबसे असरदार शब्द बन गया.दरअसल, इसकी जड़ हरियाणा की राजनीति में है. आयाराम-गयाराम का जुमला दलबदल के पर्याय के रूप में 1967 में मशहूर हुआ. हरियाणा के हसनपुर (सुरक्षित) क्षेत्र से निर्दलीय विधायक गयालाल ने 1967 में एक ही दिन में तीन बार दल बदल कर रिकॉर्ड बना दिया था. इसके साथ ही भारतीय राजनीति में आयाराम-गयाराम का मुहावरा मशहूर हो गया . हरियाणा के राज्यपाल रहे जीडी तपासे ने एक बार कहा था- ‘जिस तरह हम कपड़े बदलते हैं, वैसे ही यहां के विधायक दल बदलते हैं.’ हरियाणा के पहले सीएम भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिरने के दौरान इस कहावत का जन्म हुआ.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से टूट कर आए विधायकों ने विशाल हरियाणा पार्टी नाम से नई पार्टी का गठन किया. फिर उन्होंने दक्षिण हरियाणा के बड़े नेता राव बिरेंद्र सिंह की रहनुमाई में नई सरकार का निर्माण किया. इसी दौरान फरीदाबाद क्षेत्र में आने वाले हसनपुर सीट के निर्दलीय विधायक गयालाल ने एक दिन में तीन पार्टियां बदल डालीं. बताया जाता है कि गयालाल पहले कांग्रेस से यूनाइटेड फ्रंट में गए, फिर कांग्रेस में लौटे और फिर 9 घंटे के अंदर ही यूनाइटेड फ्रंट में शामिल हो गए. उस समय बिरेंद्र सिंह ने कहा था, ‘गया राम, अब आया राम है.’ इसके बाद से ही दलबदलू नेताओं के लिए यह मुहावरा बन गया. इसी घटना से सियासत में एक नया मुहावरा मिला था.