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विशेष लेख : गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती

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वर्मी खाद, केंचुआ उत्पादन एवं विक्रय से स्वालम्बन की ओर अग्रसर हो रहे समूह

  • ताराशंकर सिन्हा

धमतरी 30 दिसम्बर 2020 / प्रदेश सरकार की सुराजी गांव योजना (नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी) के तहत गोधन न्याय जिले के आदर्श गौठानों में महिला स्वसहायता समूह तथा गौठान समिति के सदस्य वर्मी खाद तैयार कर केंचुआ विक्रय कर रहे हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी मिल रही है। इस योजना के तहत न सिर्फ गोबर की खरीदी की जा रही है, अपितु गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर जैविक खेती को बढ़ावा भी दिया जा रहा है। वहीं गौठान में उत्पादित केंचुओं से उत्कृष्ट किस्म की जैविक खाद भी तैयार हो रही है, जिसे भविष्य में फर्टिलाइजर एवं रासायनिक खाद के स्थान पर बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
     कुरूद विकासखण्ड के ग्राम गातापार (कोर्रा) के स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती गौरी साहू ने बताया कि ग्राम पंचायत गातापार में कुल 430 पंजीकृत परिवारों के पास 1320 पशुधन हैं। समूह के द्वारा नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत पहले 66 हजार 576 रूपए के 86.48 क्विंटल वर्मी खाद बेची गई, जबकि गोधन न्याय योजना के तहत उत्पादित वर्मी खाद 35 क्विंटल में से 25 क्विंटल (25 हजार रूपए) का विक्रय किया गया। साथ ही 3.51 क्विंटल केंचुआ 1600 रूपए प्रतिक्विंटल की दर से 56 हजार 160 रूपए का विक्रय किया गया है। इसी प्रकार सभी टांकों में गोबर भरकर वर्मी डाले गए हैं। उन्होंने बताया कि समूह के द्वारा मछलीपालन, मुर्गीपालन, अगरबत्ती, मशरूम उत्पादन की भी कार्ययोजना बनाई गई है।
    कुरूद के ग्राम पचपेड़ी की गौठान समिति के अध्यक्ष श्री बी.आर. साहू ने बताया कि गोधन न्याय योजना की शुरूआत, यानी 20 जुलाई 2020 से अब तक गोबर की खरीदी की जा रही है। यहां 22 नग वर्मी टैंक, 04 नाडेप टांकों में गोबर की भराई कर उसमें केंचुएं डाले गए हैं। उन्होंने बताया कि नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के तहत यहां 66.70 क्विंटल का उत्पादउन कर 63.70 क्विंटल का विक्रय किया गया, जिसकी कीमत 50 हजार 960 रूपए है, जबकि गोधन न्याय योजना के तहत 03 क्विंटल वर्मी खाद निकालकर तथा उनकी पैकेजिंग कर सहकारी समितियों को ऑनलाइन सूचना दे दी गई है। साथ ही 200 रूपए प्रतिकिलो के मान से छह किलो वर्म का विक्रय किया जा चुका है जिसकी कीमत 1200 रूपए है। इसके अलावा दो समूहों के द्वारा अतिरिक्त आमदनी के लिए मशरूम उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। अतिरिक्त लाभ के लिए केला, पपीता, अदरक, हल्दी आदि की पैदावार लेने समूह के सदस्य प्रयासरत हैं। उप संचालक कृषि ने बताया कि ऐसे गौठान जो राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राजकीय राजमार्ग से लगे हुए हैं, उन गौठानों में मल्टी युटिलिटी सेंटर तैयार कर उसमें गोबर से निर्मित दीए, गमले, गौमूत्र से तैयार किए गए फिनाइल, रागी से बने इडली-दोसा, केला चिप्स के साथ-साथ मुर्गी पालन, अण्डा उत्पादन एवं मछलीपालन कर विक्रय करके अतिरिक्त आमदनी में वृद्धि करने के लिए समूहों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है।