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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी को झूठे केस में फंसाने पर तलाक मंजूर किया, क्रूर बताते हुए फैसला

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पति को झूठे केस में फंसाने के आरोप में पत्नी को क्रूर बताते हुए तलाक मंजूर किया. बालोद की रहने वाली एक महिला शादी के सात महीने के बाद पति को छोड़कर मायके में रहने लगी थी. साथ ही वह अपने पति पर मां-बाप से रहने का दबाव बना रही थी. बात नहीं मानने पर महिला ने पति और उसके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था. हालांकि, कोई भी सबूत ना होने के चलते कोर्ट ने पति और उसके परिवार को बरी कर दिया था. इन सभी चीजों के बावजूद दोबारा साथ रहने के लिए पति ने कोर्ट में याचिका दर्ज कराई थी, लेकिन इस दौरान पत्नी ने पति के सामने शर्त रखी और कहा कि तुम्हें मां-बाप को छोड़कर मेरे साथ रहना होगा. इस शर्त को ना मनाते हुए पति ने अपना आवेदन वापस ले लिया था. इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट ने तलाक की याचिका लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था. बाद में पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी.

2007 में हुई थी शादी
बालोद में रहने वाले शख्स की बालोद में ही रहने वाली महिला से 27 अप्रैल 2007 को शादी हुई थी. शादी के शुरुआती कुछ महीनों में सब ठीक रहा, लेकिन 7 महीने बाद पति-पत्नी को छोड़कर मायके में रहने लगी. इसके बाद महिला ने अपने पति और उसके परिवार पर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया है. हालांकि, कोर्ट ने इस मामले पति और उसके परिवार को बरी कर दिया. इसके पत्नी ने फैमिली कोर्ट में दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन दिया था.

पत्नी ने लगाए थे कई आरोप
महिला ने अपने पति और उसके परिवार पर आरोप लगाए कि शादी के कुछ महीनों बाद पति और ससुराल वालों ने परेशान करना शुरू कर दिया था. बेटी के जन्म पर उसकी किसी ने कोई देखभाल नहीं की. पति ने पत्नी के आरोपों को कोर्ट में खारिज कर दिया और कहा कि पत्नी खुद उसे छोड़कर गई थी. इसके बाद पति ने हाईकोर्ट में तलाक की याचिका दायर की. पति ने कोर्ट में कहा कि साल 2008 में पत्नी घर छोड़कर चली गई थी.

कोर्ट ने तलाक मंजूर किया
उसने पुलिस में भी कई शिकायत की थी. पति ने बताया कि मेरी पत्नी मुझपर माता-पिता को छोडकर रहने का दबाव बनी रही थी. साथ ही घर जमाई बनने के लिए भी मजबूर किया. हाईकोर्ट ने पाया कि पत्नी की तरफ से कभी भी शादी को बचाने की कोई कोशिश नहीं की गई. महिला ने बिना किसी कारण के ही घर छोड़ दिया था. पति पर केस दर्ज कराया. ये तो क्रूरता है. इस आधार पर हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल 2007 को हुए विवाह को शून्य घोषित किया है. साथ ही पति को आदेश दिया है कि वह दो महीने भीतर एक मुश्त 5 लाख रुपये गुजारा भत्ता दे.