पाली: दौरीकलारी में डायरिया का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। यहां दो दिन के अंदर 43 मरीज मिल चुके हैं। शुक्रवार को 23 नए मरीज मिले हैं, जिनमें से 13 को अस्पताल भेजा गया है। 10 मरीजों का गांव में लगे शिविर में उपचार किया जा रहा है। गांव में पेयजल की आपूर्ति वाले बोर के पास कुछ किसानों द्वारा गोबर इकट्ठा करने से इसका पानी दूषित हो गया है। इसी का कारण गांव में डायरिया फैलने की बात कही जा रही है। ग्रामीणों को इससे जुड़ी टंकी का पानी नहीं पीने की हिदायत दी गई है।जिले के दूरस्थ गांव दौरीकलारी के 37 ग्रामीणों के एक साथ बीमार होकर अस्पताल दाखिल होने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप है। गुरुवार को यहां के आंगनबाड़ी परिसर में शिविर लगा के बाद माना जा रहा था कि स्थिति पर नियंत्रण में है लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। आश्रित ग्राम सागरपार व तालापार के अलावा बुड़बुड़ से भी मरीज मिले हैँ। यहां दो डाक्टर और तीन नर्स की ड्यूटी लगाई गई है, यह मरीजों की बढ़ती संख्या की दृष्टि से पर्याप्त नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में 30 बिस्तर की व्यवस्था है। मरीजों को बरामदे में लिटाकर उपचार किया जा रहा है। स्थिति यह है कि मरीजों के हाथी में ही स्लाइन की बाटल थमाई जा रही है। गांव के शिविर में भी टेबल पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है।गांव में जल जीवन का काम अधूरा
यहां जल जीवन मिशन का काम अधूरा है। यहां छह माह पहले ही काम शुरू हुआ है। ग्रामीण गांव के बाहर बनी टंकी पर आश्रित हैं। गांव में पेयजल के लिए टंकी का निर्माण किया गया है लेकिन बोर खुदाई का काम शेष है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
डायरिया पीड़ित दौरीकलारी निवासी रामकुमार जगत का कहना है कि एक साथ लोगों के बीमार पड़ने से सभी डरे सहमे हैं। शिविर में चिकित्सकों की संख्या बढ़ानी चाहिए। यहां अस्पताल में अव्यवस्था का आलम है।
मरीज के स्वजन संजय मरावी का कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त सुविधा नहीं है। मरीजों को कहीं भी बैठाकर इलाज किया जा रहा है। अतिरिक्त वार्ड व बिस्तर की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि लोगों का त्चरित इलाज हो सके।