Home देश डॉक्टरों का अनिश्चितकालीन धरना जारी, मांगें पूरी होने का कर रहे इंतजार

डॉक्टरों का अनिश्चितकालीन धरना जारी, मांगें पूरी होने का कर रहे इंतजार

7
0

नई दिल्ली। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद से ही देशभर के डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा है। ये मामला बीते कई दिनों से गर्माया है। देशभर में रेजिडेंट डॉक्टर इस घटना के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। वहीं दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों का अनिश्चितकालीन धरना गुरुवार को भी जारी रहा है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से काम पर लौटने का अनुरोध किया था। विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले मंगलवार को इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा देने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया।

वाइस एडमिरल आरती सरीन की अध्यक्षता वाली दस सदस्यीय टास्क फोर्स को तीन सप्ताह के अंदर अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। हालाँकि, कुछ डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने टास्क फोर्स की संरचना पर असंतोष जताया है। उन्होंने कहा कि हम टास्क फोर्स के सदस्यों के चयन के आधार को नहीं समझ पा रहे हैं। इसमें रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए था, जिसकी हम वकालत करते रहे हैं। इसमें सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसरों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए, क्योंकि हिंसा की घटनाएं मुख्य रूप से सरकारी अस्पतालों में होती हैं, निजी अस्पतालों में नहीं।

इस बीच, अखिल भारतीय चिकित्सा महासंघ ने एनटीएफ की सिफारिशों के लागू होने तक डॉक्टरों के लिए अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि डॉक्टरों को अक्सर हिंसा और उनकी सुरक्षा खतरे की घटनाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि रेजिडेंट डॉक्टरों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो, क्योंकि वे नियमित आधार पर वास्तविक समय की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

याचिका में अस्पताल और छात्रावास के प्रवेश और निकास द्वार और गलियारे क्षेत्रों सहित सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की है। याचिका में प्रमुख मांगों में सीसीटीवी लगाना, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का सख्त अनुपालन, आपातकालीन स्थितियों में स्वास्थ्य कर्मियों को तत्काल मदद देने के लिए 24 घंटे संकट कॉल सुविधा स्थापित करना शामिल है।