रायपुर। वित्त विभाग द्वारा केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 एवं छत्तीसगढ़ माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 51 के प्रावधानों के अनुसार शासकीय विभागों द्वारा की जाने वाले सामग्री खरीदी एवं सेवा प्राप्ति पर प्रदायकर्ताओं (Suppliers) को तथा ठेकेदारों को किये जाने वाले भुगतान पर स्रोत पर कर की कटौती (GST-TDS) के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
वित्त विभाग द्वारा समस्त विभाग अध्यक्ष राजस्व मंडल, कमिश्नरों, विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को इस संबंध में जारी निर्देशों में कहा गया है कि शासकीय विभाग या स्थापना, स्थानीय प्राधिकारी, शासकीय अभिकरण, शासन के किसी भी डीडीओ द्वारा (किसी कराधेय वस्तु या सेवा हेतु) रूपये 2.5 लाख से अधिक भुगतान होने पर, 2 प्रतिशत (1 प्रतिशत CGST $ 1 प्रतिशत SGST अथवा 2 प्रतिशत IGST) की दर से स्रोत पर कटौती GST-TDS किया जाना है।
अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सभी शासकीय विभागों तथा स्थानीय प्राधिकारियों को जीएसटी, के अंतर्गत स्रोत पर कटौतीकर्ता (TDS Deducter) के रूप में रजिस्ट्रेशन लिया जाना है। विभागों द्वारा खरीदी जाने वाली सामग्री, मशीन-उपकरण, फर्नीचर, स्टेशनरी अथवा अन्य कोई भी वस्तुएं, निर्माण कार्यों एवं ठेकों (Contract) तथा लिये जाने वाली किसी भी प्रकार की सेवाओं की राशि पर GST-TDS करने के पश्चात्वर्ती माह की 10 तारीख तक रिटर्न GSTR-07 में प्रस्तुत किया जाना है।
कई विभागों, कार्यालयों द्वारा (GST TDS Deductor) के रूप में उक्त प्रावधानों के अंतर्गत जीएसटी पंजीयन नहीं लिया गया है तथा पंजीयन लेने वाले प्राधिकारियों द्वारा सही प्रकार से जीएसटी की स्रोत पर कटौती संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है। इससे राज्य शासन को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व की क्षति हो रही है।
इस संबंध में विभागों को निर्देशित किया गया है कि समस्त भुगतान कर्ता प्राधिकारियों, आहरण एवं संवितरण अधिकारियों द्वारा केंद्रीय एवं छत्तीसगढ़ माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत स्रोत पर कटौती के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी वस्तु अथवा सेवा प्रदाय कर्ता द्वारा एक वित्तीय वर्ष के दौरान एक ही क्रय/सेवा आदेश के विरूद्ध पृथक-पृथक देयकों में राशि का विभाजन करते हुए जीएसटी की स्रोत पर कटौती हेतु निर्धारित 2.5 लाख की सीमा का उल्लंघन न हो।
इसके साथ ही समस्त कोषालयों, उप कोषालयों, निर्माण विभागों, वन विभाग के भुगतान प्राधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि आहरण एवं संवितरण अधिकारियों द्वारा वस्तु एवं सेवा प्रदाय के भुगतान संबंधी प्रस्तुत देयकों में प्रदायकर्ताओं की जीएसटीआईएन को चिन्हांकित करने की व्यवस्था की जाए तथा देयकों के भुगतान के पूर्व यह भी सुनिश्चित किया जाए कि प्रदायकर्ता द्वारा दिया गया जीएसटीआईएन वर्तमान में सक्रिय/वैध हो।