नई दिल्ली । प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बाद भी भारतीयों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा। इस बीच डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर मालदीप सरकार लगातार दोनों देशों की दोस्ती का हवाला दे रही है। ये सब इसकारण हो रहा है, क्योंकि मालदीव की इकनॉमी काफी हद तक इंडियन टूरिस्ट्स पर निर्भर है। हर साल वहां लाखों भारतीय छुट्टियां मनाने जाते हैं।
अब लक्षद्वीप मालदीव को रिप्लेस कर सकता है। वैसे सुन्नी-बहुत मालदीव के बारे में अमेरिका तक कह चुका कि ये हद से ज्यादा चरमपंथी देश है, जिसके लोगों का आतंकवादियों से लिए नरम रूख रहा। काफी हद तक ये सही भी है। एक समय पर बौद्ध आबादी वाला ये देश तेजी से मुस्लिम आबादी में बदला। अब हालत ये है कि यहां नॉन-मुस्लिमों को नागरिकता तक नहीं मिलती।
इतिहासकार क्या मानते हैं
ज्यादातर स्कॉलर्स का मानना है कि चोल साम्राज्य से भी पहले वहां कलिंग राजा ब्रह्मदित्य का शासन था। ये 9वीं सदी की बात है। इसके बाद राजसी शादियों के जरिए वहां तक चोल वंश पहुंच गया। 11वीं सदी में मालदीप पर महाबर्णा अदितेय का शासन रहा, जिसके प्रमाण वहां आज भी शिलालेखों पर मिलते हैं।
इससे पहले से ही बौद्ध धर्म भी वहां फल-फूल रहा था। ईसा पूर्व तीसरी सदी में वहां की ज्यादातर आबादी बौद्ध थी। हिंदू राजाओं के आने के बाद दोनों ही धर्म एक साथ बढ़ते रहे। अब भी वहां के 50 से ज्यादा द्वीपों पर बौद्ध स्तूप मिलते हैं। लेकिन ज्यादातर या नष्ट हो चुके, या तोड़े जा चुके। आखिरी बौद्ध राजा धोवेमी ने साल 1153 में इस्लाम अपना लिया और उनका नाम पड़ा, मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला।
असल में द्वीप देश में लंबे समय से अरब व्यापारियों का आना-जाना था। शुरुआत में बात व्यापार तक रही, लेकिन धीरे-धीरे वे अपने धर्म का प्रचार करने लगे। राजा के धर्म परिवर्तन के बाद लगभग सारी आबादी ने मुस्लिम धर्म अपना लिया और देश का इस्लामीकरण हो गया। इस बात का जिक्र नोट ऑन द अर्ली हिस्ट्री ऑफ मालदीव्स नाम की किताब में मिलता है।
हिंद महासागर में स्थित ये द्वीप देश अब 98 प्रतिशत मुस्लिम है. बाकी 2 प्रतिशत अन्य धर्म हैं, लेकिन उन्हें अपने धार्मिक प्रतीकों को मानने या पब्लिक में त्यौहार 0मनाने की छूट नहीं। यहां तक कि अगर किसी को मालदीव की नागरिकता चाहिए तब वहां मुस्लिम,वहां भी सुन्नी मुस्लिम होना पड़ता है।
वैसे ये पर्यटन का देश है, लेकिन टूरिस्ट्स को भी यहां अपने धर्म की प्रैक्टिस पर मनाही है। वे सार्वजनिक जगहों पर पूजा-पाठ नहीं कर सकते। अमेरिकी रिपोर्ट ने भी लगाई मुहर यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने साल 2022 में मालदीव में रिलीजियस फ्रीडम पर एक रिपोर्ट जारी की। इसमें बताया गया कि वहां के द्वीप पर भगवान की मूर्तियां स्थापित करने के जुर्म में तीन भारतीय पर्यटकों को गिरफ्तार कर लिया गया था। देश में लगभग 29 हजार भारतीय रह रहे हैं, लेकिन या तब वे इस्लाम अपना चुके, या फिर अपना आधिकारिक धर्म छिपाते हैं।
क्या है आईएसआईएस से संबंध
लगभग 12 सौ द्वीपों से बने देश के बारे में माना जाता है कि कि यहां पर कैपिटा आबादी पर सबसे ज्यादा युवा इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने गए। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 से लेकर 2018 की शुरुआत तक, यहां से ढाई सौ से ज्यादा लोग आईएसआईएस में भर्ती के लिए सीरिया चले गए। ये जनसंख्या के हिसाब से दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसमें काफी लोग मारे गए, जबकि ज्यादातर मालदीवियन महिलाएं नॉर्थईस्ट सीरिया के कैंपों में हैं। खुद मालदीव की सरकार ने उन्हें वापस लाने के लिए नेशनल रीइंटीग्रेशन सेंटर बनाया हुआ है, जो दूसरों देशों के साथ संपर्क में है। मालदीव का अड्डू शहर इस्लामिक चरमपंथियों का गढ़ बना हुआ है। ये शहर साल 2018 के बाद सक्रिय हुआ, और लगातार आईएसआईएस की विचारधारा पर काम करने लगा। इसके अलावा युवाओं के दिमाग में जहर भरकर उन्हें भड़काना भी इनका काम है। काफी लोग अल-कायदा को भी सपोर्ट करते हैं।