पटना । बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ताकत भले ही तीसरे नंबर पर है, लेकिन सुशासन बाबू की छवि उन्हें लगातार मुख्यमंत्री पद पर असीन रखा है। इसकारण उनके कभी एनडीए तब कभी महागठबंधन के साथ जाने के बाद भी भाजपा उन पर खुलकर वार नहीं कर सकी। हालांकि स्थिति कुछ अलग दिख रही है।नीतीश की ओर से विधानसभा में यौन शिक्षा पर बात कर जो बयान दिया गया, नीतिश के उस बयान ने देश भर में चर्चा बटोरी। उनके बयान पर इतना भारी हंगामा हुआ कि अगले ही दिन नीतीश कुमार ने माफी मांग ली।
यही नहीं उन्होंने कहा कि मैं खुद अपनी निंदा करता हूं और यदि किसी को बात गलत लगी हो तब एक-एक शब्द वापस लेता हूं। इस पर बवाल जैसे-तैसे थम ही रहा था कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर विधानसभा में ऐसी भाषा में हमला किया वह फिर से घिर गए। मांझी जातीय सर्वे पर बात कर रहे थे और उसमें खामियां गिना रहे थे। उन्होंने कहा था कि यदि इसमें गलतियां हैं, तब फिर कैसे वंचितों को फायदा मिल सकेगा। उनके इतना कहते ही नीतीश कुमार गुस्सा हो गए। मांझी से तू-तड़ाक की भाषा बात कर कहा था कि यह आदमी मेरी मूर्खता के चलते मुख्यमंत्री बन गया था। विधानसभा में नीतीश कुमार की इन दो चूकों की वजह से भाजपा को मौका मिल गया। यही नहीं सम्राट चौधरी, गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के अलावा सीधे पीएम नरेंद्र मोदी ने हमला बोला। उन्होंने पहले जनसंख्या नियंत्रण वाले बयान पर कहा था कि इंडिया गठबंधन का एक नेता पूरी दुनिया के आगे भारत को बदनाम कर रहा है। इन्हें शर्म है कि आती नहीं।
यही नहीं एक और रैली में पीएम मोदी ने मांझी पर हमले का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन का एक मुख्यमंत्री पूर्व सीएम से बदतमीजी करता है। उसे ऐसा करने में मजा आता है, लेकिन कांग्रेस उस पर कुछ नहीं कहती। इस तरह पीएम मोदी ने बिना नाम लिए ही नीतीश पर तीखा हमला किया है। इसके अलावा राज्य के नेता भी लगातार हमलावर हैं। इससे स्पष्ट है कि 2024 और 2025 की लड़ाई के लिए भाजपा नीतीश कुमार पर सीधे हमले के मूड में है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के इन बयानों ने उनकी छवि पर असर पहुंचाया है और भाजपा को मौके दिए हैं।
अब तक भाजपा आरजेडी पर ही हमलावार रहती थी, लेकिन नीतीश कुमार पर डायरेक्ट अटैक से बचाती थी। अब भाजपा आरजेडी के साथ ही नीतीश कुमार को भी निशाने पर ले रही है। 15 दिनों के अंदर दो बार नीतीश को टारगेट कर पीएम मोदी ने संकेत भी दे दिए हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा अब नीतीश कुमार का मनोबल कमजोर करना चाहती है। इसलिए सीधा हमला बोल रही है और विधानसभा में उनके बयानों में जिस तरह की उत्तेजना या चूक दिखी है, उसका फायदा उठाने की कोशिश में है। वह मानते हैं कि नीतीश अब पहले जैसे मजबूत नेता नहीं रहे हैं। वह कहते हैं, नीतीश कुमार अब पहले जैसे मजबूत नहीं है। लेकिन अब भी उनके पास हवा का संतुलन अपनी ओर करने की क्षमता है। यह चीज भाजपा को नुकसान करेगी। आरजेडी के साथ मिलकर नीतीश जो फैसले ले रहे हैं, वह भी भाजपा के लिए चिंता की बात है।