नई दिल्ली । देश के कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन एक फैशन बन गया है। इस लेकर सरकार को कुछ गाइडलाइन तैयार करनी होगी। इस तरह घरों पर बुलडोलर चलाना आर्टिकल 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने मुद्दा उठाया और बेंच से कहा कि इस लेकर नियमावली तय करने की जरूरत है। दवे ने अप्रैल 2022 में जहांगीरपुरी में हुए बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई कर रही जस्टिस बीआर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच के सामने यह मांग की। जहांगीरपुरी में एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
अदालत में इसके अलावा भी कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, जिसमें किसी मामले के आरोपियों के घरों को गिराए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। इससे पहले भी सुनवाई के दौरान दवे ने इसतरह के बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाकर कहा था कि किसी आरोपी की गलती पर उसका घर तोड़ना उन लोगों को भी प्रभावित करता है, जो मामले में शामिल नहीं थे। इतना ही नहीं उनका कहना था कि अदालत को कुछ नियम तय कर देने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाइयों के तहत एक वर्ग को ही निशाना बनाया जा रहा है।
हालांकि उनकी बात को बीच में काटते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आप गलत तथ्य पेश कर रहे हैं और आधी बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहांगीरपुरी में जहां एक्शन हुआ, उसमें बहुसंख्यक आबादी हिंदुओं की ही है। इसमें से कई हिंदू थे, जो बुलडोजर एक्शन से प्रभावित हुए। मामले में अदालत ने अब अगले बुधवार को सुनवाई की तारीख तय की है। बता दें कि बीते साल नवरात्रि में हिंसक झड़प और पत्थरबाजी की घटना हुई थी, जिसके बाद नगर निगम ने बुलडोजर एक्शन का फैसला लिया था। यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां ऐक्शन पर रोक लगा दी गई थी।