भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे कई नियम बनाए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। आपको अगर यह नियम नहीं पता होंगे तो आपको भी जरूरत पड़ने पर परेशानियाे का सामना करना पड़ता है। ऐक ऐसा ही नियम है टिकट ट्रांसफर करने का। यदि किसी व्यक्ति के पास कन्फर्म ट्रेन टिकट है, लेकिन किसी वैध कारण से वह उस टिकट पर यात्रा नहीं कर पाता तो ऐसी स्थिति में वो अपना टिकट अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर ट्रांसफर कर सकता है जिससे टिकट पर खर्च होने वाले पैसे की बचत होगी।
परिवार का मतलब क्या?
रेलवे ने बकायदा इस सवाल का जवाब देते हुए बताया कि यहां परिवार का मतलब कोई दोस्त या रिश्तेदार नहीं है। रेलवे ने परिवार में सिर्फ पिता, माता, बहन, भाई, बेटी, पुत्र, पति या पत्नी को ही शामिल किया है जिसका मतलब आप सिर्फ इनमें से ही किसी एक पर अपनी टिकट को ट्रांसफर कर सकते हैं।
कैसे लें ये सुविधा?
इस सेवा का लाभ उठाने के लिए, यात्रियों को निर्धारित ट्रेन प्रस्थान से कम से कम 24 घंटे पहले एक रिक्वेस्ट जमा करना होगा। यहां आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि टिकट ट्रांसफर की रिक्वेस्ट केवल एक बार ही किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति के नाम पर एक बार टिकट ट्रांसफर हो जाए तो फिर दोबारा वो टिकट किसी और के नाम पर ट्रांसफर नहीं हो सकता है।
कैसे करें टिकट ट्रांसफर?
सबसे पहले आप उस टिकट का प्रिंटआउट निकाल ले। चाहें आपने ऑनलाइन बुक किया हो या ऑफलाइन। इसके बाद आप जिस व्यक्ति को टिकट ट्रांसफर करना चाहते हैं, उसका आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड ले लें। इसके बाद आपको अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन के आरक्षण काउंटर पर जाना होगा। यहां आपको टिकट ट्रांसफर के लिए आवेदन करना होगा।
टिकट ट्रांसफर रिक्वेस्ट करने की क्या है समय-सीमा
भारतीय रेलवे के दिशा-निर्देशों के अनुसार अलग-अलग कैटेगरी के यात्रियों के लिए अलग-अलग समय सीमा है। सरकारी कर्मचारियों के लिए, ट्रेन के निर्धारित प्रस्थान से कम से कम 24 घंटे पहले अनुरोध करना अनिवार्य है। वहीं उत्सव के अवसरों, शादी समारोहों, या व्यक्तिगत मामले में, व्यक्तियों को ट्रेन के प्रस्थान से 48 घंटे पहले टिकट हस्तांतरण अनुरोध करना जरूरी होता है। इसके अलावा, एनसीसी उम्मीदवार भी टिकट ट्रांसफर सेवा और इससे जुड़े लाभों को उठा सकते हैं।