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राज्य महिला आयोग द्वारा सभी के लिए नि:शुल्क व शीघ्र न्याय देने के लिए लगातार की जा रही सुनवाई

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छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. श्रीमती किरणमयी नायक ने आज जिला पंचायत सभाकक्ष राजनांदगांव में जिले से महिला आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई में मानव तस्करी रोकथाम अन्य हित धारकों तथा पीडि़तों के पुनर्वास विषय पर परिचय के लिए आयोजन किया गया। इस दौरान कुल 17 प्रकरण प्रस्तुत किया गया। जिसमें एक प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। 4 प्रकरण के संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग कार्यालय रायपुर बुलाया गया है। शेष प्रकरण को आगामी सुनवाई के लिए बुलाया गया है। डॉ. श्रीमती नायक बताया कि महिला आयोग को डीएमएफ मद से 10 लाख रूपए प्राप्त हुए हैं। जिसका उपयोग महतारी न्याय रथ योजना में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिला आयोग द्वारा सभी के लिए नि:शुल्क व शीघ्र न्याय देने के लिए सुनवाई की जाती है।
डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम मरकामटोला के हाई स्कूल के प्रकरण की सुनवाई की गई। आवेदक एवं आवेदिका के आपसी विवाद से संबंधित बातें सुनने के बाद शाला विकास समिति के 13 सदस्य उपस्थित होकर प्रकरण में अपने पक्ष को प्रस्तुत किया। अध्यक्ष डॉ. श्रीमती नायक ने आवेदिका से पूछा कि 45 किलोमीटर की दूरी 40 मिनट में कैसे तय करती है। जिसका आवेदिका ठोस उत्तर ना दे सकी। अध्यक्ष ने कहा कि स्पष्ट है कि आप रोज देर से स्कूल आती हंै, विवाद का यही कारण है। जिस पर शाला विकास समिति की बैठक हो चुकी है। शाला विकास समिति ने बताया कि आवेदिका के साथ कुछ शिक्षक देर से आते हैं। साथ ही परीक्षा के दौरान भी देर से आते हैं। जिसको लेकर शाला विकास समिति ने बैठक आयोजित कर आपत्ति भी दर्ज की है। वहीं शाला विकास समिति के साथ आवेदिका ने दुव्र्यवहार किया है। अध्यक्ष श्रीमती नायक ने प्रकरण के दस्तावेज का अवलोकन करने व पक्षकारों को सुनने के बाद को देखने और पक्षकार को सुनने के बाद कहा कि सभी छात्र-छात्राओं का भविष्य इन शिक्षकों की लड़ाई से प्रभावित हो रहा है। उन्होनें जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव को पूरे मामले की गोपनीय जांच कर प्रकरण को महिला आयोग में प्रस्तुत करने कहा। जिसके पश्चात निर्णय लिया जा सके। जिला शिक्षा अधिकारी राजनांदगांव प्रकरण में अपनी अनुशंसा भी प्रस्तुत करेंगे तथा प्रकरण में आयोग की ओर से संरक्षण अधिकारी महिला बाल विकास राजनांदगांव विद्या मिश्रा को पूरे मामले में पत्र व दस्तावेज देने व रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया गया है।
24 साल पुराने अंतरजातीय विवाह के प्रकरण को श्रीमती नायक ने किया नस्तीबद्ध –
श्रीमती ममता देशमुख पति श्री दिलीप देशमुख ने 24 साल पहले अंतरविवाह किया था। जिस समय उस समाज के नियमानुसार बहिष्कृत किया गया। जिसका आवेदन 24 साल बाद आवेदिका ने आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। जिसको लेकर समाज के पदाधिकारियों सास, ननद, जेठ को पक्षकार बनाया है। उन्होंने बताया पति ने जीवनकाल में अपने दोनों बेटे को मध्य प्रति संपत्ति के बंटवारा किया। जिसमें संदीप व छोटा बेटा जो राजनांदगांव के अनुसूचित थाना में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ है। जिसकी नियत मेरे अर्जित मकान पर है और उसका हिस्सा मांगने आया वह न्यायालय में चले जाना व इसके बाद भी वह थाने में शिकायत किया। प्रकरण में डॉ. श्रीमती नायक ने उपस्थित आवेदक ने सभी समाज के पदाधिकारी को समझाइश दी कि उन्हें समाज से बहिष्कृत करने का अधिकार नहीं है। अधिकार का दुरूपयोग ना करें वरना कड़ी कार्रवाई होगी। भारतीय दंड संहिता 384 नागरिक संरक्षण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है। कभी भी ऐसी गलती भविष्य में ना करें ऐसी समझाइश देते हुए उक्त 24 साल पुराने प्रकरण जो समय सीमा से परे हैं। महिला आयोग में 1 साल पुराने प्रकरण की ही सुनवाई की जाती है। आयोग के द्वारा सुनवाई किया जाना संभव नहीं है। प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया है।