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लोकवाणी (आपकी बात-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि : रायपुर, 13 जून 2021

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एंकर
–    सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    साथियों, आज लोकवाणी कार्यक्रम अपने अठारहवें पायदान पर पहुंच चुका है अर्थात आज अठारहवीं कड़ी का प्रसारण हो रहा है।
–    इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी और आप सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    लोकवाणी के सुनइया सब्बो सियान मन ल, दाई-दीदी मन ल, भतीजा-भतीजी मन ल, अउ सब्बो-संगवारी मन ल मोर डहर ले जय जोहार। आप मन के सहयोग अउ मया के सेती हमर लोकवाणी के एक-एक कड़ी आगू बढ़त जावत हे।
–    आप मनके गोठ-बात ल सुनथंव, त मोला नवा-नवा जानकारी मिलथे। हमर सरकार ह आप मन बर जेन योजना बनाके काम करत हे, ओकर बारे म जमीनी जानकारी मिलथे। आप मन के बिचार अउ सुझाव घलोक मिलथे, एकर बर आप जम्मो मन ल धन्यवाद।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, लोकवाणी में इस बार का विषय है, ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’। एक विशेष पृष्ठभूमि और परिस्थिति में आपने 21 मई 2020 को छत्तीसगढ़ में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत पूरी राशि का भुगतान चार किस्तों में करने की घोषणा की थी। इस बीच कोरोना महामारी की चुनौती आई। इसके चलते योजना के भविष्य को लेकर कयास लगाना शुरू हो गया था। लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने पूरी दृढ़ता से तमाम आशंकाओं को निर्मूल साबित किया और योजना के दूसरे वर्ष की पहली किस्त 21 मई 2021 को किसानों के खाते में डाल दी।
–    आपकी इस साहसिक और संवेदनशील पहल के बारे में किसान भाइयों ने क्या कहा है-आइए सुनते हैं-
(1)    खिरोधर राम, विकासखण्ड कुनकुरी
    मोय खिरोधर राम, विकासखण्ड कुनकुरी कर रहेक वाला हेकों।  मैं ये साल लगभग 280 क्विंटल धान सोसाइटी में बेच रहलो। जेकर भूपेश सरकार बोनस कर रूप में अखन मोके मोर परिवार के संग मिलके कमाई रहलो से एकर बोनस राशि 45 हजार 200 रुपया प्रथम किस्त के रूप में अभी मोर खाता में डाल देई है। ये कोरोना महामारी में भूपेश सरकार कर, ये बहुत अच्छा सहयोग हेके कि हमके मनके सहयोग कर रूप में ये राशि के प्रदान कइर हे, जेकर लगिन मैं प्रदेश सरकार के बहुत-बहुत धन्यवाद देवन अउर ओकर आभारी हूं।
(2)    सुरेन्द्र, ग्राम नगपुरा ब्लॉक दुर्ग
    आदरणीय महोदय, नमस्कार। मैं सुरेन्द्र, ग्राम नगपुरा ब्लॉक दुर्ग का किसान हूं। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ का विस्तार निःसंदेह किसानांे की हितैषी सोच है। इस तरह के ईमानदार प्रयासों से किसानों की आय बढ़ेगी व छत्तीसगढ़ का किसान सक्षम बनेगा। छत्तीसगढ़ के किसान परम्परागत धान की खेती के अलावा अन्य नगदी फसल की ओर प्रयास करने की हिम्मत जुटा पाएंगे। आशा है कि यह योजना छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। आदरणीय, किसानों में एक भ्रम की स्थिति है। जो किसान विगत वर्ष पंजीयन कराने से वंचित रह गये थे अथवा अपने आधे रकबे का ही पंजीयन कराये थे या बाकी में अन्य फसल बोये थे। यदि इस वर्ष अपने पूरे रकबे में योजना में शामिल फसल बोते हैं तो उन्हें योजना में शामिल होने का अवसर मिलेगा कि नहीं? कहीं से स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है, कृपया स्थिति स्पष्ट करने की कृपा करें।
(3)    गंगाराम, ग्राम-करवांझर, विकासखंड डबरा, जांजगीर-चांपा
    जय जोहर। मैं गंगाराम। ग्राम करवांझर, विकासखंड डबरा का रहने वाला हूं। मोर 5 एकड़ खेती भुंइया हे, मैं ये दारी 75 क्विंटल धान बेचे रहेंव। राज्य सरकार के ‘राजीव गांधी न्याय योजना’ म मोला 11 हजार 850 रुपया मिलिस हे, ये रुपया ह मोला खेती-किसानी के समय म मिलिस हे, बहुत अच्छा समय म अब मोला साहूकार मन से कर्जा ले बर नई पड़े। मैं अपन रुपया ल धान बेचके, खाद अपन सुविधा ले सकथंव। मैं ह अपन खेत म अभी गेहूं बोए रहेंव, मोर घर म मोर मां, घरवाली और दू झन लइका हे। एक झन आठवीं अउ एक झन सातवीं पढ़थे। ओकर पढ़ाई म ये रुपया ह काम आही। राजीव गांधी न्याय योजना ह हमर किसान मन के हितवा हे। मैं ह हमर प्रदेश के मुख्यमंत्री ल जय जोहार करत हंव।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    भाई खिरोधर, भाई सुरेन्द्र और गंगाराम जी नमस्कार।
–    हमारे किसान भाइयों के चेहरों पर मुस्कान देखकर और उनकी आवाज की खनक सुनकर, मुझे पता चलता है कि हम सही दिशा में काम कर रहे हैं।
–    आपने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ की शुरुआत की चर्चा की, तो इस बात को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा।
–    छत्तीसगढ़, किसानों का, खेती-किसानी का राज्य है। हमारा मानना है कि किसान खुशहाल होगा, तभी प्रदेश खुशहाल होगा।
–    सबको पता है कि छत्तीसगढ़ राज्य का जन्म छत्तीसगढ़ी अस्मिता, छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान और हमारे ग्रामीणों, किसानों, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग को उनका हक दिलाने के लिए हुआ था। लेकिन डेढ़ दशक के लंबे दौर में छत्तीसगढ़ी भाई-बहनों की उम्मीदें टूट गई थीं। यही वजह है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में हमें प्रचंड बहुमत से चुना गया।
–    हमारी सरकार का पहला फैसला था, किसानों की कर्ज माफी और उन्हें धान का दाम 2500 रुपए प्रति क्विंटल देना।
–    हमने वादा निभाया। 18 लाख से अधिक किसानों का 8,743 करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ किया। वहीं खरीफ वर्ष 2018 में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया।
–    इस तरह पहली बार में तो बिना किसी विघ्न-बाधा के हम यह काम कर लिए। लेकिन जैसे ही खरीफ वर्ष 2019 की राशि देने का वक्त आया, वैसे ही दिल्ली से यह फरमान आ गया कि छत्तीसगढ़ के किसानों को केन्द्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य की राशि से एक पैसा भी ज्यादा नहीं दिया जाए।
–    हमने बहुत प्रयास किए कि हमें अनुमति मिले। लेकिन कड़ाई बढ़ती गई और इस चेतावनी में बदल गई कि यदि हमने 2500 रुपए की दर से भुगतान किया तो पीडीएस के लिए सेंट्रल पूल में चावल नहीं लिया जाएगा।
–    यह एक बहुत बड़ा संकट था क्योंकि इससे किसानों को, राइस मिलर्स को, छत्तीसगढ़ की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा धक्का लगता। इसलिए हमने विधानसभा में घोषणा करते हुए कहा कि फिलहाल समर्थन मूल्य की राशि किसानों को दी जाएगी। लेकिन हम यह व्यवस्था करेंगे कि किसानों को कोई नुकसान न उठाना पड़े। सिर्फ धान ही नहीं बल्कि अन्य फसल लेने वाले किसानों को भी आर्थिक सहायता और संबल दिया जाएगा।
–    इस तरह से ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ की शुरुआत हुई जिसमें धान के साथ गन्ना और मक्का किसानों को भी शामिल किया गया।
–    हमने यह घोषणा की थी कि लगभग 19 लाख किसानों को आदान सहायता के रूप में चार किस्तों में राशि दी जाएगी।
–    इस तरह पूर्व प्रधानमंत्री, आधुनिक भारत के स्वप्नदृष्टा, भारतरत्न स्वर्गीय राजीव गांधी जी के शहादत दिवस 21 मई 2020 को हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत की तथा पहली किस्त के रूप में 1500 करोड़ रुपए किसानों के खाते में डाले।
–    सालभर के भीतर चार किस्तों में पूरी राशि 5 हजार 628 करोड़ रुपए का भुगतान 18 लाख 45 हजार किसानों के खाते में कर  दिया गया।
–    जो लोग पहले चार किस्तों में राशि देने को लेकर आपत्ति कर रहे थे, उन लोगों ने कोरोना संकट को देखते हुए यह कहना शुरू कर दिया था कि खरीफ 2021 में धान बेचने वाले किसानों को ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ का लाभ नहीं दिया जाएगा।
–    कोरोना के कारण देश और प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर निश्चित तौर पर बुरा असर पड़ा है। लेकिन मैंने स्पष्ट कहा था कि इसका नुकसान किसानों को नहीं होने देंगे।
–    इस तरह हमने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना 2021’ के लिए बाकायदा बजट में 5 हजार 703 करोड़ का प्रावधान किया और विगत वर्ष की तरह ही 21 मई अर्थात राजीव जी के शहादत दिवस पर, ठीक पिछली बार की तरह पहली किस्त की राशि 1500 करोड़ रू. का भुगतान किसानों के खाते में कर दिया गया। इसमें 20 लाख 53 हजार 482 किसानों ने धान बेचा है तथा शेष लगभग डेढ़ लाख किसानों ने मक्का व गन्ना बेचा है।
–    कोरोना के महासंकट के बावजूद योजना के क्रियान्वयन में एक दिन की भी देरी नहीं की गई।
–    सुरेन्द्र भाई, आपने पूछा था कि यदि विगत वर्ष पूरे रकबे का पंजीयन नहीं करा पाए थे तो आगे क्या स्थिति बनेगी? तो इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यदि पात्रता होगी तो आप पूरे रकबे का जरूर पंजीयन करा सकते हैं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने किसानों की कर्जमाफी और ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ जैसे प्रयासों से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत की, जिसके कारण बड़ी संख्या में नए किसान भी खेती से जुड़े। समर्थन मूल्य में धान खरीदी 56.88 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 92 लाख मीट्रिक टन हो गई है। इससे क्या आपकी चुनौतियां और बढ़ गई हैं?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    वर्ष 2018 के बाद से हर साल धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों की संख्या और खेती का रकबा बढ़ता गया। निश्चित तौर पर जितना अधिक धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा, उतना अधिक भुगतान करना पड़ेगा। इसके साथ ही हमने गन्ना और मक्का के किसानों को भी भुगतान किया।
–    जब किसान भाइयों ने यह देखा कि उन्हें हमारी सरकार का मजबूत समर्थन और सहयोग प्राप्त है तो उन्होंने खेती में निवेश भी बढ़ाया।
–    हमें यह देखकर बहुत संतोष होता है कि विगत दो वर्षों में प्रदेश में किसानों की संख्या 5 लाख 5 हजार बढ़ी है। कई प्रदेशों में लोग जब खेती को छोड़कर अन्य काम-धंधा अपना रहे हैं, तब हमारे यहां किसानों की संख्या बढ़ना बहुत शुभ संकेत है।
–    इसका अर्थ है कि हमारे प्रयास किसानों के घर तक पहुंच रहे हैं।
–    जब से हमारी सरकार आई है, तब से आंकड़े देख लीजिए। वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2020-21 में पंजीकृत किसानों की संख्या 15 लाख से बढ़कर 21 लाख 52 हजार, समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों का प्रतिशत 76.47 से बढ़कर 95.38 प्रतिशत हो गई है। किसान भाइयों की रुचि और उत्साह के कारण ही सर्वाधिक कृषि ऋण वितरण का लक्ष्य भी हासिल किया गया है।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ में इस वर्ष कुछ नए प्रावधान किए हैं, जिनके बारे में हमारे किसान भाई विस्तार से जानना चाहते हैं-
(1)    रूपेश कुमार साहू, जिला-बालोद
    माननीय मुख्यमंत्री बघेल जी, सादर प्रणाम, जय जोहार। मैं रूपेश कुमार साहू, विकासखण्ड-डौण्डीलोहारा, जिला-बालोद से। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ सचमुच ही आपके दूरगामी विकास की सोच को दर्शाता है। इस योजना के अंतर्गत धान के अलावा अन्य फसलों को शामिल करनेे के बारे में हम किसानों के मन में कई भ्रांतियां हैं, इसे आप और आपकी सरकार ने दूर करने और किसानांे को समझाने के लिए क्या-क्या कार्ययोजना बनाई है, जिससे किसानों को विश्वास में लिया जा सके।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    रूपेश भाई, बहुत अच्छा सवाल है।
–    ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ में आदान सहायता की राशि  के लिए मुख्यतः तीन प्रावधान हैं। पहला प्रावधान यह है कि पिछले साल की तरह धान के साथ खरीफ की प्रमुख फसल मक्का, कोदो, कुटकी, सोयाबीन, अरहर, गन्ना फसल लेने वाले किसानों को 9 हजार रूपए प्रति एकड़ आदान सहायता राशि हर साल दी जाएगी।
–    दूसरा प्रावधान उन किसानों के लिए जो धान के बदले अन्य निर्धारित फसलें लेना चाहते हैं। उन्हें 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान सहायता राशि दी जाएगी और यह तीन वर्ष के लिए होगी।
–    इसी तरह तीसरा प्रावधान उन किसानों के लिए जो धान के बदले वृक्षारोपण करेंगे तो उन्हें भी 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की सहायता राशि दी जाएगी।  
–    हम यह व्यवस्था कर रहे हैं कि योजना के सभी प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार हो और इसकी पात्रता तथा मिलने वाले लाभ के बारे में आप लोगों तक सम्पूर्ण जानकारी पहुंचे।
–    लोकवाणी के माध्यम से भी मैं आपको पूरी जानकारी दे रहा हूं।
–    समस्त श्रेणी के भू-स्वामी एवं वन पट्टाधारी कृषक योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे।
–    संस्थागत भू-धारक किसान, रेगहा/बटाईदार/लीजी कृषक इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे।
–    संबंधित मौसम में भुंइया पोर्टल में संधारित गिरदावरी के आंकड़े तथा कृषक के आवेदन में अंकित फसल व रकबे में से, जो भी कम हो, उस फसल व रकबे को आदान सहायता राशि की गणना हेतु मान्य किया जाएगा।
–    कृषकों को आदान सहायता राशि प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र के साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य होगा, जो किसान भाई पंजीकरण नहीं कराएंगे उनको अनुदान की पात्रता नहीं होगी।
–    कृषक पंजीयन का कार्य 01 जून से शुरू हो गया है, जो 30 सितम्बर तक किया जाएगा।
–    निर्धारित फसलों पर ही आदान सहायता दी जाएगी, अन्य पर नहीं। पंजीकृत कृषक की मृत्यु हो जाने पर तहसीलदार के द्वारा परिवार के नामांकित व्यक्ति के नाम से आदान सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
–    किसानों को आवश्यक दस्तावेज जैसे ऋण पुस्तिका, बी-1, आधार नंबर, बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ भरे हुए आवेदन अभिलेखों का प्रारंभिक परीक्षण व सत्यापन ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से कराना होगा।
–    संयुक्त खातेदार कृषकों का पंजीयन नंबरदार के नाम से किया जाएगा। आवेदन पत्र के साथ समस्त खाताधारकों की सहमति सह-शपथ पत्र तथा अन्य आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत करने हांेगे। आदान सहायता राशि पंजीकृत कृषक के खाते में अंतरित की जाएगी तथा आदान सहायता राशि का बंटवारा आपसी सहमति से किया जाएगा।
–    कृषक को आवेदन के साथ आधार नंबर अनिवार्य रूप से देना होगा। हितग्राही कृषकों से आधार नंबर उनकी सहमति से प्राप्त किए जाएंगे। यदि किसी कृषक के पास आधार नंबर नहीं है, तो मैदानी अमलों के द्वारा ऐसे कृषकों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में पंजीयन हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राप्त आधार नंबरों की गोपनीयता सुनिश्चित की जाएगी।
–    कृषकों के बैंक विवरण में त्रुटि होने पर विभाग के मैदानी अमले द्वारा संबंधित कृषक से 15 दिवस के भीतर सही बैंक विवरण प्राप्त करते हुए अनुदान राशि अंतरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
एंकर
–    धन्यवाद, माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने बहुत विस्तार से बताया है। इससे हमारे किसान भाइयों को सही ढंग से आवेदन करने व योजना का लाभ लेने में बहुत मदद मिलेगी। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ का लाभ अब किन-किन फसलों को मिलेगा? आपने इसके तहत धान, गन्ना और मक्का के अलावा अन्य फसलों को क्यों शामिल किया है, इस संबंध में सुनते हैं श्रोताओं के विचार और आपका जवाब।
(1)    खुमान सिंह यादव, गांव डुंडेरा, उतई, जिला-दुर्ग
    मुख्यमंत्री जी, मैं खुमान सिंह यादव, गांव डुंडेरा, उतई, जिला-दुर्ग ले बोलाथंव, आप मन ल जय जोहार हे। आप मन बताय हव के आपके सरकार रागी, कोदो, कुटकी के खेती करइया मन ल आदान अनुदान के रूप म दस हजार रुपया एकड़ पाछू हर साल मिलही कहिके। बहुत सुग्घर योजना हे, अइसन घोसना मन नान्हे किसान मन के आत्मसम्मान अउ ओकर स्वाभिमान ल आघू डहर बढ़ाये म मदद करही। ओ मन ल अब्बड़ खुसी मिलही। अइसन सुग्घर असन घोसना के जोन ह गरीब किसान मन के हित में होवय एकर बर मेह हमर छत्तीसगढ़ के जम्मो छोटे-बड़े किसान भाई मन डहर ले आप ल अउ आपके सरकार ल गाड़ा-गाड़ा बधाई देवत हंव। अवइया दिन म अइसने सुंदर-सुंदर घोसना आप हमर किसान भाई मन बर करते रहू इही आसा अउ बिस्वास संग एक ठन निवेदन अउ करहूं के एखर मन के उत्पादन के बेवस्था बेचे बर एकर मन के बाजार बेवस्था हो जातिस त बेहतर होतिस।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    बहुत बढ़िया सवाल खुमान भाई।
–    आप सबको मालूम ही है कि छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल तो धान ही है। किसानों को धान की खेती करने का ज्ञान परंपरागत रूप से अपने पुरखों से मिलता रहा है।
–    धान की फसल लेने में पानी बहुत लगता है। मानसून यदि अच्छा हो तो फसल अच्छी होती है। पूरे फसल काल में बारिश और धूप दोनों का महत्व होता है। इसका संतुलन बिगड़ने पर या अचानक मौसम बदलने पर फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
–    आदर्श स्थिति में बम्पर पैदावार होती है, जिसके कारण बाजार में अच्छा भाव भी नहीं मिल पाता।
–    इस तरह एक ओर जहां धान फसल का पूरा सम्मान करना है, वहीं दूसरी ओर अन्य फसलों को भी बढ़ावा दिया जाना है, ताकि धान पर बहुत अधिक निर्भरता से किसानों को नुकसान न हो।
–    जहां तक समर्थन मूल्य घोषित करने का सवाल है तो यह कार्य केन्द्र सरकार का है। यह एक विडम्बना रही है और खासकर हाल के वर्षों में यह प्रवृत्ति बढ़ गई है कि अन्य फसलों की तुलना में धान का समर्थन मूल्य कम बढ़ाया जाता है।
–    इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में होने वाली बहुत सी ऐसी फसलंे हैं, जिन्हें सेहत के लिए बहुत उपयोगी और औषधियुक्त माना जाता है, लेकिन उनके समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए कोई प्रणाली विकसित नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में धान, गन्ना और मक्का के अलावा बहुत सी फसलें लेने वाले किसानों को सरकार सेे सहयोग की जरूरत है। इस बात को हमने बहुत गंभीरता से महसूस करते हुए, राजीव गांधी किसान न्याय योजना का दायरा बढ़ाया है।
–    हम चाहते हैं कि धान के बदले अन्य निर्धारित फसलें लेने वाले किसानों को किसी न किसी प्रकार की आर्थिक मदद व उनकी फसल को बाजार में बेचने की सुविधा मिले।
–    खरीफ 2021 से धान के साथ खरीफ की प्रमुख फसल मक्का, कोदो-कुटकी, सोयाबीन, अरहर तथा गन्ना उत्पादक कृषकों को प्रति वर्ष 9 हजार रुपए प्रति एकड़ आदान सहायता राशि दी जाएगी।
–    वर्ष 2020-21 में जिस रकबे से किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया गया था, यदि वह धान के बदले कोदो-कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टिफाइड धान, केला, पपीता लगाता है अथवा वृक्षारोपण करता है, तो उसे प्रति एकड़ 10 हजार रुपए आदान सहायता राशि दी जाएगी। वृक्षारोपण करने वाले कृषकों को तीन वर्षों तक आदान सहायता राशि दी जाएगी।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, किसानों की आय बढ़ाने के लिए आपने मुख्यमंत्री वृक्षारोपण योजना शुरू की है। कृषि वानिकी के विकास के लिए इसे एक बड़ा कदम माना रहा है। इस योजना को लेकर भी बड़ी उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। मिसाल के तौर पर कोण्डागांव निवासी एक एग्रो फारेस्ट्री एक्टिविस्ट के विचार साझा करने के साथ हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया इस संबंध में अपनी सोच के बारे में विस्तार से बताने का कष्ट करें।  
(1)    प्रेमराज जैन-एग्रो फारेस्ट्री एक्टिविस्ट
    मैं प्रेमराज जैन, एक वृक्ष किसान हूं। हम विगत 40 वर्षों से निजी जमीन पर वृक्ष उगा रहे हैं एवं किसानों को मोटिवेट करके वृक्षारोपण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसी की बदौलत बस्तर में लगभग 4 हजार हेक्टेयर में निजी भूमि पर वृक्षारोपण किया गया है। सरकार द्वारा निजी जमीन पर धान के बदले में पेड़ लगाने पर 10 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष 3 वर्ष तक दिया जाएगा। इससे किसानों में नई आशा का संचार हुआ है और हमको ये उम्मीद है कि शासन ने जो कहा है कि उगाए गए पेड़ को काटने के लिए उसको विक्रय करने के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। हमें ये पूरा भरोसा है कि भूपेश बघेल जी ने किसानों के हित में पहले भी काम किया है और किसानों के लिए नई योजना लेकर आए हैं। इससे छत्तीसगढ़ में हरियाली का बहुत विस्तार होगा और लोगों को आय का अनेक नया साधन प्राप्त होगा। हमारा मुख्यमंत्री जी से एक निवेदन है कि पूर्व में आपके द्वारा 2002 में संशोधन कराया गया था, जिसमें अधिकारियों ने किन्तु परन्तु छोड़ दिया था। हमें पूरा विश्वास है स्पष्ट नियम लाएंगे, जिससे किसानों को अपने द्वारा उगाए गए वृक्ष काटने और बेचने के लिए, परिवहन आदि के लिए किसी की अनुमति की परेशानी नहीं होगी। ये हमको आपके ऊपर पूरा विश्वास है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद प्रेमराज जी। बहुत अच्छी बात कही है।
–    आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश में प्रतिवर्ष 45 हजार करोड़ रुपए की लकड़ी का आयात होता है। लेकिन नीतिगत विसंगतियों के कारण हम इमारती, गैर इमारती और अन्य प्रजातियों की लकड़ियों के बड़े पैमाने पर उत्पादन को प्रोत्साहित नहीं कर पाते।
–    राज्य में वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए हमने वर्ष 2002 में भू-राजस्व संहिता में निजी भूमि पर किए गए वृक्षारोपण की कटाई की अनुमति देने का प्रावधान किया था। लेकिन यह बहुत सीमित प्रजातियों के लिए ही लागू हो पाया था।
–    हमारे प्रदेश में ऐसी प्रजातियों के वृक्षारोपण के लिए आदर्श परिस्थितियां, पर्याप्त भूमि, अनुकूल जलवायु और श्रमशक्ति उपलब्ध है। जिसमें वृक्षों को लगाने से काटने के बीच एक सुरक्षित चक्र बनाया जा सकता है, जिससे हर समय पर्याप्त संख्या में वृक्ष मौजूद भी रहें और सही समय पर कटाई होने से ग्रामीणों, किसानों की आय भी बढ़े। ऐसा करने पर चोरी-छुपे वृक्षों की अवैध कटाई की समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
–    इसके लिए हमने मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यदि इसमें कोई समस्या आएगी तो उसके समाधान और योजना में संशोधन का रास्ता भी खुला रहेगा। हम चाहते हैं कि यह योजना ग्रामीणों और किसानों की आय बढ़ाने का बहुत बड़ा माध्यम बने। योजना के कुछ प्रमुख प्रावधानों के बारे में मैं आपको बता देता हूं।
–    मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के सभी नागरिक, निजी भूमि की उपलब्धता अनुसार तथा सभी ग्राम पंचायत एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियां योजना का लाभ लेने हेतु पात्र होंगी।
–    गैर वनीय क्षेत्रों में इमारती, गैर इमारती फलदार वृक्ष, बांस, अन्य लघु वनोपज एवं औषधीय पौधों का वृहद पैमाने पर रोपण किया जाएगा तथा कृषि वानिकी को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए उच्चगुणवत्ता के पौधे तैयार किए जाएंगे।
–    जिस भूमि पर वन अधिकार पत्र दिए गए हैं, उस भूमि पर भी हितग्राहियों की सहमति से इमारती, फलदार, बांस, लघु वनोपज एवं औषधीय पौधों का रोपण किया जाएगा।
–    वनक्षेत्रों से जलाऊ, चारा, इमारती काष्ठ तथा औद्योगिक कच्चे उत्पाद का दबाव कम करने तथा भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा जारी निर्देशों के अनुक्रम में निजी भूमि में वृक्षों के रोपण को बढ़ावा दिया जाएगा।
–    निजी क्षेत्र में पूर्व से खड़े वृक्ष तथा रोपित वृक्षों के लिए कटाई की अनुमति के प्रावधानों को और अधिक सरल तथा सुगम बनाया जाएगा।
–    नागरिकों द्वारा स्वयं रोपित वृक्षों को परिवहन अनुज्ञा की अनिवार्यता से मुक्त किए जाने हेतु भारत सरकार के दिशा निर्देशों एवं अन्य राज्य में लागू प्रावधानों के अनुरूप ही नियम बनाए जाएंगे।
–    राजस्व विभाग नियमों में इस प्रकार संशोधन करेगा, जिससे नागरिकों को वृक्ष लगाने एवं काटने हेतु राजस्व एवं वन विभाग को सूचना देने मात्र की आवश्यकता हो। स्वयं द्वारा रोपित पौधों को काटने हेतु किसी विभाग के अधिकारी से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग वृक्षारोपण हेतु प्रोत्साहित हो सके।
–    संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक आधार पर राजस्व भूमि पर वृक्षारोपण किया जाता है तो पंचायत की तरह ही संबंधित समिति को एक वर्ष बाद 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वृक्षों को काटने एवं विक्रय का अधिकार संबंधित समिति का होगा।
–    ग्राम पंचायतों के पास उपलब्ध राशि का नियमानुसार उपयोग करते हुए यदि सामुदायिक एवं शासकीय गैर वनीय क्षेत्रों में रोपण किया जाता है तो एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में संबंधित ग्राम पंचायतों को शासन की ओर से 10 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, इससे भविष्य में पंचायतों की आय में वृद्धि हो सकेगी।
–    हम चाहते हैं कि यह योजना ग्रामीण और वन क्षेत्रों में लोगों का जीवन बदलने का माध्यम बने।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, न्याय योजना को लेकर हमारी एक बहन ने भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। आइए सुनते हैं।

(1)    रूक्मणी सूर्यवंशी, जिला-जांजगीर चांपा
–    मैं जिला जांजगीर-चांपा से रूक्मणी सूर्यवंशी बोलत हंव। माननीय मुख्यमंत्री जी को सादर प्रणाम। माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने हमें गोधन न्याय योजना की सौगात देकर वास्तव में गोबर को गोधन बना दिया है। इससे हमें अतिरिक्त आय हो रही है। वर्मी कम्पोस्ट और गोबर खातू को लेकर आप नया क्या करने जा रहे हैं। धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जबाव
–        धन्यवाद रूक्मणी बहन। गोधन न्याय योजना को सफल बनाने के पीछे बहुत बड़ा योगदान हमारी माताओं-बहनों का है।
–    सरकार ने गोबर खरीदने के लिए दो रूपए किलो और वर्मी कम्पोस्ट बेचने के लिए 10 रूपए प्रति किलो की दर निर्धारित की है। हम चाहते हैं कि हमारे किसान भाई बड़े पैमाने पर हमारे गौठानों में निर्मित वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें।
–    वर्मी कम्पोस्ट से जमीन के पोषक तत्व तथा उपजाऊपन में वृद्धि होती है, जिससे पौधों की बढ़त में तेजी आती है। इससे जैविक खेती तथा अच्छी गुणवत्ता की फसल लेने में मदद मिलती है।
–    हमने गोबर खातू का उपयोग बढ़ाने के लिए सुपर कम्पोस्ट भी लांच कर दी है, जिसका न्यूनतम मूल्य 6 रूपए प्रति किलो है। मेरा निवेदन है कि ज्यादा से ज्यादा किसान भाई अपने प्रदेश में निर्मित जैविक खाद का उपयोग करंे और भरपूर फसल से अच्छा लाभ कमाएं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश में कोरोना संक्रमण, नियंत्रण व रोकथाम के उपायों तथा सावधानियों के बारे में हमारे श्रोताओं को अपने अनुभव साझा करना चाहेंगे।
–    हम चाहेंगे कि हमारे श्रोता कोरोना नियंत्रण के लिए अपनाए गए उपायों के बारे में जानें तथा आगे के लिए सावधान भी रहें। क्योंकि अभी यह मानना उचित नहीं होगा कि खतरा समाप्त हो गया है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    कोरोना की दूसरी लहर, वायरस के नए वेरिएंट के साथ आई थी और तेजी से बढ़ने लगी थी। अप्रैल में संक्रमण दर 30 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। एक माह के भीतर हमने संक्रमण दर को 27 प्रतिशत से गिराकर 2.7 प्रतिशत तक लाने में सफलता प्राप्त की।
–    हमने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन, निजी अस्पताल संचालकों, सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और जागरूक जनता की मदद से एक पारदर्शी व्यवस्था बनाई। रियल टाइम बेसिस पर वेबसाइट पर अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता प्रदर्शित की गई।
–    अस्पतालों में दवा, इंजेक्शन, ऑक्सीजन सिलेण्डर आदि की उपलब्धता के लिए काफी सोच-समझकर इंतजाम किए गए।
–    साधारण लक्षण वाले मरीजों को घर पहुंचाकर दवा दी गई।
–    ट्रू-नाट, एंटीजन टेस्ट, आरटीपीसीआर से लेकर एचआर सिटी स्केन आदि सभी की दरों पर भी नियंत्रण किया गया, जिससे जांच में वृद्धि हुई।
–    सरकारी स्तर पर भी बड़े पैमाने पर सैंपल लेने और सही समय पर जांच के इंतजाम किए गए।
–    ऐसे बहुत सारे प्रयासों के कारण ही प्रदेश में कोरोना की पॉजिटिविटी दर बहुत तेजी से कम हुई, इसके लिए मैं सरकारी अमले के साथ ही आम जनता, स्वयंसेवी संस्थाओं, खुले दिल से सहयोग देने वाले व्यवसायी, उद्योगपति समुदाय सभी के प्रति शुक्रिया अदा करता हूं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, कोरोना से मुकाबला करने का सबसे बड़ा हथियार टीकाकरण को माना गया है। कृपया टीकाकरण को लेकर अपनी सोच और रणनीति के बारे में बताने का कष्ट कीजिएगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    हमने शुरू से टीकाकरण को लेकर उच्च प्राथमिकता से काम किया। राष्ट्रीय स्तर पर जो आकलन हुए हैं, उसके अनुसार हेल्थ केयर वर्कर्स को शत्-प्रतिशत, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 90 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को पहली खुराक दी जा चुकी है, जिससे छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है।
–    प्रदेश में 45 वर्ष से अधिक के 58 लाख 67 हजार लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य है। इनमें से 45 लाख 31 हजार से अधिक लोगों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लगाया जा चुका है।
–    18 से 44 वर्ष आयु के 8 लाख 31 हजार युवाओं का टीकाकरण किया जा चुका है। अब तक 71 लाख 14 हजार टीके लगाए गए हैं।
–    छत्तीसगढ़ देश में 6वें स्थान पर हैं, हमसे जो 5 राज्य आगे हैं, वे क्षेत्रफल और जनसंख्या के मामले में काफी छोटे हैं। जैसे लद्दाख, सिक्किम, लक्षद्वीप, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश।
–    इसी प्रकार टीकों की एक-एक बूंद के सदुपयोग के मामले भी छत्तीसगढ़ काफी अच्छी स्थिति में है।
–    जब टीकों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर काफी समस्याएं और अभाव बताया जा रहा है। तब मुझे यह कहते हुए काफी संतोष होता है कि हमने आगे बढ़कर कहा था कि यदि कहीं और से मदद नहीं मिली तो छत्तीसगढ़ सरकार स्वयं सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क टीकाकरण की व्यवस्था करेगी। पहले जब 45 प्लस आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाना था तो हमने पूरी तरह से सुचारू व्यवस्था की।
–    18 प्लस आयु वर्ग को टीका लगाने की घोषणा करने के बाद टीकों की उपलब्धता को लेकर जब संकट पैदा हुआ तो हमने पहले ही टीका उत्पादकों को एडवांस में राशि व आपूर्ति का आदेश प्रेषित किया था, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर असंगत नीति व  उत्पादक कंपनियों द्वारा आपूर्ति नहीं करने के कारण बहुत समस्याएं आई।
–    अभी केन्द्र सरकार ने एक बार फिर अपनी नीति बदलते हुए स्वयं निःशुल्क टीकाकरण की घोषणा की है। मुझे खुशी है कि हम जो बात शुरू से कह रहे थे, आखिर वहीं पर जाकर सहमति बनी।
–    लोक कल्याण के लिए ऐसे खर्च राष्ट्रीय स्तर पर उठाए जाने की बहुत सी मिसालें पहले से हैं। हम चाहेंगे कि निजी क्षेत्र को जो 25 प्रतिशत टीके देने की बात कही गई है, उसमें भी सुधार हो और पूरे टीके आम जनता के लिए निःशुल्क उपलब्ध हों तो ज्यादा अच्छे नतीजे आएंगे।

       जय हिंद, जय छत्तीसगढ़


एंकर
–    श्रोताओं लोकवाणी का आगामी प्रसारण 11 जुलाई, 2021 को होगा। जिसमें माननीय मुख्यमंत्री ‘‘विकास का नया दौर’’ विषय पर चर्चा करेंगे। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल दिनांक 28, 29 एवं 30 जून, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर है 0771-2430501, 2430502, 2430503