

दुर्ग / विश्व टीबी दिवस के मौके पर टीबी के प्रति जागरुकता लाने को जिले में टीबी प्रचार रथ को रवाना किया गया है। इसके माध्यम से जनसामान्य को टीबी बीमारी के प्रति जागरुक कर रोग से बचाव के लिए उपाय बताये जा रहे हैं। प्रचार रथ में माइकिंग करके, पर्चा व पम्पलेट के माध्यम से लोगों को जानकारी दी जा रहीहै। कल विश्व टीबी दिवस के मौके पर मास्क सेल्फी कैंपेन का भी आयोजन किया गया। जिला क्षय नियंत्रण केंद्र प्रांगण में आज सभी स्वयं सेवी संस्थाओं एवं टीबी कार्यक्रम के सभी कर्मचारियों को टीबी का स्लोगन लिखे हुए मास्क का वितरण किया गया। इसके बाद जनसामान्य, यातायात पुलिस, बस व आटो चालक, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भी ऐसे ही मास्क का वितरण किया गया।rnrnजिला टीबी अधिकारी डॉ अनिल कुमार शुक्ला ने बताया, “टीबी यूनिट धमधा द्वारा टीबी मरीज एवं डाट्स प्रोवाईडर के बीच समन्वय स्थापित करने को कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें टीबी मरीजों को दवा का पूरा कोर्स करने के लिए प्रोत्साहित किया गया साथ ही डॉट्स प्रोवाईडर को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। टीबी के उपचार में मरीज को डेली डाट्स की दवा डाट्स प्रोवाईडर बनाकर द्वारा दी जाती है। डाट्स प्रोवाईडर कोई भी व्यक्ति हो सकता है ग्रामीण अंचल में मितानिन व टीबी मितान भी डाट्स प्रोवाईडर का काम करते हैं”।rnrnजिला टीबी अधिकारी डॉ शुक्ला ने बताया, “टीबी अथवा क्षयरोग एक संक्रामक बीमारी है, जो माइको ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इसका ज्यादातर असर फेफड़ों पर होता है। यह संक्रामक बीमारी है और पीड़ित मरीज के खांसने- छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स के जरिए अन्य स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकती है। उन्होंने बताया, सिर्फ फेफड़ों का टीबी ही संक्रामक होता है। टीबी शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है, लेकिन वह संक्रामक नहीं होता है। टीबी रोग का निदान सही समय पर समुचित इलाज मिलने से संभव है। जबकि इलाज में लापरवाही जानलेवा भी हो सकता है”।rnrnनिशुल्क जांच, इलाज की सुविधाrnजिला टीबी अधिकारी डॉ शुक्ला ने बताया, टीबी उन्न्मूलन के लिए सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। इसके बाद मरीज निशुल्क जांच और इलाज की सुविधा ले सकते हैं। घर के पास स्वास्थ्य केंद्र पर निशुल्क दवा भी मिल जाएगी। पोर्टल पर पंजीकरण कराने के अलावा एक कार्ड भी दिया जाता है। मरीजों को पोषण भत्ते के रूप में हर महीने 500 रुपये भी खाते में दिए जाते हैं।







