पलायन कर वापस आने वाले मजदूरों के कारण फैली है दहशत
nnnn कवर्धा (डीएनएच)। कोरोना वायरस की दहशत पूरे देश के साथ-साथ विश्व में दिखाई दे रही है। इस दहशत ने जहां पूरे विश्व को झंकझोर कर रख दिया है वहीं कई बड़े वैज्ञानिक और देश की सरकारें इस लाईलाज वायरस से निजात पाने के लिए रात दिन प्रयासरत है। परन्तु अभी तक इस वायरस से निजात पाने की कोई दवाई किसी भी देश के सरकार और वैज्ञानिकों के हाथ में नहीं आई है। इसलिए और इसकी दहशत प्रतिदिन नए-नए रूप में दिखाई देने लगी है। जिस बीमारी के लाईलाज होने का ढिंढोरा इलेक्ट्रानिक मीडिया पीट रही है उसके कारण लोग और दहशत में है। जबकि सच्चाई इलेक्ट्रानिक मीडिया के ढिंढोरों से कोसो दूर है। जिस तरह से देश की सरकार ने प्रत्येक राज्य को सतर्क करते हुए सामूहिक जगहों को बंद करने के आदेश दे दिए है ठीक उसी तरह से इलेक्ट्रानिक मीडिया के दहशतगर्दी प्रचार-प्रसार और सलाहकारों के बातचीतों पर भी रोक लगा देनी चाहिए? क्योंकि देश का प्रत्येक व्यक्ति आज किसी भी सच्चाई को जानने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के ऊपर काफी हद तक सहमत है और इसी बेवकुफीपूर्ण विचारों को भांपकर इलेक्ट्रानिक मीडिया अपने टीआरपी को बढ़ाने के लिए सलाहाकारों की फौज लेकर लोगों को दहशत के साएं में सांस लेने के लिए मजबूर करके रख दिया है। जबकि इनके सलाह और इनके प्रचार-प्रसार में कोई भी सच्चाई नहीं है। इस सच्चाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक सभी चैनलों ने प्रतिदिन अपने -अपने सलाहकारों की राय लोगों के सामने रखी परन्तु एक मात्र कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए किसी भी डॉक्टर और सलाहकारों ने एक राय में इससे निजात पाने की एक दवा और सलाह नहीं दी है? जितने भी सलाहकार अब तक चैनल में आए सबने अपने-अपने तरीके से लोगों को सलाह दी और आज इसी भ्रांति की वजह से लोग इस दहशत में है कि वास्तव में कोरोना वायरस का इलाज क्या है? देश में जहां अब तक सैकड़ों की तादाद में वायरस पीडि़त मरीज पाए गए है वहीं इनसे कई गुना अधिक चैनलों के माध्यम से दहशत फैलाए जा रहें है। पूरा विश्व इस कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए संघर्षरत है। ये सच है कि कोरोना वायरस लगभग 4-6 प्रमुख देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। जहां अब तक हजारों इंसान मारे जा चुके है परन्तु भारत में अब तक प्रमाणित रूप से कोई गंभीर मरीज सामने नहीं आया है। दहशत का वातावरण इतना प्रचारित कर फैला दिया गया है कि लोग कोरोना वायरस का नाम सुनते ही बीमारी पड़ रहें है? छत्तीसगढ़ भी इस दहशत की बीमारी से अछूत नहीं है वह भी इसकी चपेट में आ चुका है। स्वयं मुख्यमंत्री सहित पूरा मंत्रीमंडल छत्तीसगढ़ को सतर्क कर इस कोरोना वायरस से बचने की सलाह दे रहें है। लोग उनके बताए गए नियमों का पालन कर रहें है। तो कुछ नजरअंदाज भी करते हुए देखे जा रहेंं है। कोरोना वायरस की दहशत और उसकी वास्तविक सच्चाई क्या है यह तो समय के गर्भ में छुपा हुआ है परन्तु छत्तीसगढ़ का कोना -कोना भी दहशत के साएं में सांसे ले रहा है। राज्य के सभी सरकारी अस्पताल अपने फर्ज को निभाने के लिए सतर्क है। इस दहशत भरे वातावरण की कुछ तस्वीर कवर्धा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में भी देखने को मिल रही है जहां लोग अपने आप में सतर्क तो है परन्तु दहशत और भ्रांतियों के कारण माहौल गड़बड़ाया हुआ है।


शहर से वापस आ रहे मजदूरों के कारण दहशत
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कवर्धा क्षेत्र के अधिकांश गांव के मजदूर वर्ग के लोगों के द्वारा रोजी मजदूरी के लिए समय-समय पर बड़े शहरों में जाने के लिए हजारों की संख्या में पलायन कर जाते है। मजदूरों के पलायन कर जाने से जहां राज्य सरकार इसे चिंता का विषय लेकर चलती है वही गांव में मजदूरों का अभाव भी हो जाता है। बंबई, पुना, बैंगलोर जैसे बड़े शहरों सहित अन्य राज्यों में से यूपी, बिहार, जम्मू कश्मीर तक लोग मजदूरी करने के लिए पलायन कर जाते है। यह एक अलग विषय है कि उनके पलायन से किसको फायदा होता है या नहीं परन्तु वर्तमान समय में कोरोना वायरस के फैल जाने की वजह और उसके दहशत के कारण मजदूरी करने गए मजदूर अपने परिवारिक सदस्यों सहित वापस अपने गांव आ रहें है। चूंकि कोरोना वायरस पूरे देश के भीतर फैले होने की बात को उजागर किया गया है, इसलिए क्षेत्रीय ग्रामीण अब इस आशंका में है कि शहर से वापस आ रहे मजदूरों के साथ कहीं कोरोना वायरस भी न आ जाए इसलिए उन्होंने शहरों से वापस आ रहे मजदूरों के स्वास्थ्य परीक्षण की मांग जिला प्रशासन से की है। उनका मानना है कि एैसे मजदूरों की जांच रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड से उतरते ही कैम्पों के माध्यम से डॉक्टरों के द्वारा तत्काल जांच की जाए। यदि एैसा होता है तो रोगग्रस्त व्यक्ति को तत्काल स्थानीय अस्पताल में ईलाज हेतु भर्ती किया जाए और स्वस्थ्य ग्रामीण को गांव भेजने की इजाजत दी जाए।
स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो
चूंकि कोरोना वायरस एक संक्रामक बीमारी की तरह पूरे देश के भीतर फैलने की आशंका जताई जा रही है। क्षेत्र के ग्रामीण दहशत के सांए में जीवनयापन कर रहें है। बड़े शहरों से मजदूरों का आना आज भी जारी है। एैसी परिस्थिति में जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। जिस तरह से ग्रामीणों की मांग है कि बस स्टैण्ड और रेलवे स्टेशन में ही एक कैम्प लगाकर शहरों से आ रहे मजदूरों की जांच तत्काल हो क्योंकि मजदूरों की वापसी हजारों की संख्या में हो रही है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
क्षेत्र के कई गांवों में मुनादी
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कवर्धा क्षेत्र के कई गांवों में यह मुनादी करवा दी गई है कि गांव के चौपाल में जमघट लगाकर बैठक आयोजित न किया जाए। एक गांव से दूसरे गांव के व्यक्तियों से मेलजोल ज्यादा न बढ़ाया जाए। यहां तक की कई गांवों में मेहमानों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से एक अच्छा और ठोस कदम है परन्तु कोरोना वायरस से बचने का मूलमंत्र यही है :- सावधानी, स्वच्छता, सतर्कता।
