
कुछ मामलों में बच्चों की फीस भरने सहमत हुए पिता, कहीं बच्चों को दादी के पास रखने सहमत हुए अभिभावकrnदुर्ग . राज्य महिला आयोग की दो दिन तक चली सुनवाई में 22 मामले निपटे। दोनों पक्षों की बात सुनकर आयोग ने अपना फैसला सुनाया और पीड़ित पक्ष को राहत मिली। एक मामले में पति-पत्नी के बीच विवाद में बच्चों की फीस नहीं भरी जा सकी थी। आयोग ने पति को एक लाख सैंतालीस हजार रुपए की फीस भरने के निर्देश दिए। फीस की राशि फैसले के तुरंत पश्चात चेक के रूप में पति ने दी। एक दूसरे मामले में दादी अपनी तीन पोतियों को लेकर आई थी। इनके मामले में दादी पोतियों का भरणपोषण दूसरों के घर काम में जाकर कर रही थीं। आयोग ने पोतियों से भी उनका पक्ष जाना। पोतियों ने कहा कि वे पिता के साथ नहीं, अपनी दादी के साथ रहना चाहेंगे। इसके बाद आयोग ने इस संबंध में फैसला दिया। आयोग की ओर से सदस्य श्रीमती खिलेश्वरी किरण और विधिक सलाहकार श्री एलके मढ़रिया ने सुनवाई की। आयोग के पास अधिकतर शिकायतें दहेज प्रताड़ना को लेकर आई। एक महिला ने बताया कि वे स्वयं तलाकशुदा हैं और मैरिज ब्यूरो के माध्यम से तलाकशुदा व्यक्ति से शादी की। शादी के दस महीने बाद उन्हें पता चला कि पति का अब तक पहली पत्नी से तलाक नहीं हो पाया है। ससुर वाले तंग करते हैं। केवल ससुर ही साथ देते हैं जिसके वजह से उन्हें भी विरोध का सामना करना पड़ता है। एक अन्य मामले में आवेदिका ने कहा कि पति ने ब्लैंक स्टांप में तलाकनामे पर हस्ताक्षर करा लिए, फिर इसे लेकर प्रताड़ित किया। शादी के शुरूआती वर्ष तक वो सोचती रही कि सब ठीक हो जाएगा लेकिन बाद में भी ऐसा ही होता रहा। उल्लेखनीय है कि दो दिन तक चले महिला आयोग की सुनवाई में 60 प्रकरण रखे गए थे जिसमें 41 प्रकरणों पर पक्षकार उपस्थित हुए और इनमें सुनवाई हुई। इनमें 22 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए।

