

बिलासपुर। बिलासपुर में पिछले दो माह में अवयस्क बच्चों जिनमे युवक युवती दोनों सामिल है के संदर्भ में ऐसी एक से अधिक घटनाए हुई जिसमे छत्तीसगढ़ बल संरक्षण आयोग को संज्ञान लेना था किन्तु नही लिया गया ऐसा लगता है कि आयोग कि अध्यक्ष दलगत राजनीति से ऊपर नही उठ पा रही है अध्यक्ष के देखा देखि आयोग के सदस्य भी निष्क्रिय है उलटे वे अपने टीएडीए न मिलने तथा मानदेय का भुगतान ना होने का रोना रोते है। बिलासपुर में पिछले माह बालसंप्रेक्षण गृह में एक आपाचारी बालक ने आत्महत्या कर ली, पर आयोग नही आया ६ सदस्यी आयोग के एक भी सदस्य ने बाल संप्रेक्षण गृह का निरिक्षण नही किया, दूसरी घटना घुरू में संचालित एचआईवी पॉजिटिव अवस्यक अपना घर हॉस्टल कि है जहाँ महिला बाल विकास विभाग ने संस्था कि मान्यता रद्द कर दी और आदेश से क्षुब्द होकर एक ही रात में ३ एचआईवी पॉजिटिव अवयस्क ने अपने हाथ कि नश कांट ली दुसरे दिन एक अवस्यक युवती जिसे एचआईवी पॉजिटिव बताया गया है संस्था से फरार हो गई और आज तारीक तक उसका कोई पता ठिकाना नही है किन्तु ऐसी किसी घटना कि जानकारी होने से आयोग के अध्यक्ष प्रभा दुबे और निज सचिव जावेद खान को कोई जानकारी है बिलासपुर में नक्शल प्रभावित क्षेत्र के २५० बच्चे प्रयास संस्था के प्रभारी से प्रताडि़त है किन्तु यह जानकारी आयोग को नही है यहाँ तक कि बिलासपुर में सिम्स के एक स्टाफ ने अपने घर पर बच्चे को कैदकर जबदस्ती काम कराया उसके साथ शारीरक रूप से प्रताडि़त किया किन्तु बाल आयोग को इसका पता नही है बाल आयोग का दफ्तर बिलासपुर से मात्र १०० किमी दूर है बिलासपुर का जागरूक मीडिया रोज इन खबरों को प्रसारीत करता है किन्तु आयोग संज्ञान ही नही लेता आयोग में ६ सदस्य है जानकारी के मुताबिक़ सभी सदस्यों के बीच कार्य विभाजन भी है नियम यह कहता है कि अध्यक्ष कि अनुपस्थिति में सदस्य जो भ्रमण करेंगे उन्हें अध्यक्ष के समकक्ष ही माना जाएगा किन्तु किसी आयोग अध्यक्ष सहित किसी भी सदस्य कि रूचि कर्तव्य पालन में दिखाई नही देती








